आई लव यू (मैं तुमसे प्यार करता हूँ) | i love you hindi meaning

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सफल बनने के लिए 6 टिप्स का इस्तेमाल करें (How to success tipsin hindi )

सफल बनने के लिए 6 टिप्स का इस्तेमाल करें (How to success tipsin hindi )

आज के इस पोस्ट में मैं आप लोगों को अपने जीवन से लिए गए अनुभव में से निचोड़ कर सफलता के टिप्स मतलब सफल बनने के लिए 6 टिप्स (6 success tips) बताने वाला हूं जिसको यदि आपने बारीकी से अध्ययन कर लिया और समझ लिया तो आप भी अपने जीवन में बहुत जल्दी सफल बन सकते हैं.

पूरी दुनिया में सिर्फ 5% लोग ही सफल हैं जिनके पास पूरी दुनिया का 95% दौलत है इसीलिए जीवन में हर कोई सफल बनना चाहता है लेकिन सफल इंसान वही बनता है जो कि सफलता के रहस्यों को बारीकी से समझे

हर किसी के सफल होने का उद्देश्य अलग होता है ,किसी को प्रेम चाहिए ,किसी को धन चाहिए किसी को स्वास्थ्य चाहिए ,किसी को आजादी चाहिए ,किसी को नौकरी चाहिए लेकिन सफल वही व्यक्ति है जो सफलता की बारीकी को समझें।

तो आइए जानते हैं सफलता (success) पाने के लिए कौन से 6 Tips ज्यादा (more important) जरूरी होते हैं?

लेकिन सबसे पहले जानते हैं आखिर सफल होने का मतलब क्या है सफलता क्या है क्यों हम सफल होना चाहते हैं और बड़ा आदमी बनने का मतलब क्या होता है

सफल बनने के लिए 6 टिप्स का इस्तेमाल करें (How to success tipsin hindi  ) pro guide

सफल होने का मतलब क्या है (real meinging of success tips in hindi)

“सफलता क्या है – सफलता एक ऐसी चीज है जो कि निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है जिस इंसान को सफलता का स्वाद मिल जाता है वह इंसान अपने जीवन में बड़ी सफलता हासिल करता है बड़ी सफलता से मतलब है कि अपने जीवन में एक बड़ा मुकाम हासिल करना. “

हर इंसान अपने जीवन में किसी न किसी कार्य में सफल होता ही है लेकिन उसकी सफलता के माइनो की चर्चा वास्तविक जीवन में इसलिए नहीं होती क्योंकि उसकी सफलता किसी बड़े मुकाम को नहीं दर्शाती है इसीलिए सफल और असफल की परिभाषा है. अपने जीवन में एक बड़ा लक्ष्य हासिल करने के लिए निरंतर इस पर काम करना पड़ता है और इसी को वास्तविक सफलता माना जाता है. जीवन में जल्दी सफल कैसे बने

सफल बनने के लिए 6 टिप्स का इस्तेमाल करें (6 success tips in hindi )

यहां पर मैंने जो आपको सफल बनने के लिए 6 success tips in hindi के बारे में बताया है उसे मैंने अपने अनुभव से सीखा है और मेरा उद्देश्य यह है कि आप भी अपने जीवन में सफल बने क्योंकि सफलता से ही परम सुख मिलता है कोई भी इंसान जब सफल होता है तो दूसरे को सफल बनाता ही है क्योंकि जिसके पास जो होता है वही वह बांटता है.

आइए जानते हैं आज के सफल होने के लिए कौन सी समझदारी और ज्ञान जरूरी है नीचे दिए गए सफलता के 6 टिप्स को आप अपने जिंदगी में पूरी तरीके से जगह दे-

1. बिना गलती के सीख नहीं मिलती

बिना गलती के सीख नहीं मिलती यह तो आपने बहुत ही जगह से सुना होगा लेकिन आप हर दिन गलती करते हैं. गलती करना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन आपको थोड़ा सा रास्ता बदलना है आपको गलती उस दिशा में करना है जिस दिशा में आप अपनी मंजिल को पाना चाहते हैं.

कहने का मतलब यह है कि आप गलतियों से सीख सकते हैं और यही गलतियां आपको सफल बनाती हैं बशर्ते आपको अपने सपनों को पूरा करने में आने वाली अलग प्रकार की गलतियों को हर बार करें और सीखें .

जब आप गलतियों से सीखते हैं तो आप सफल बनते जाते हैं क्योंकि आपने पिछली गलती से कुछ सीखा सीखने का नाम ही सफलता है क्योंकि आप एक जगह से दूसरी जगह जा रहे हैं एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाने का नाम ही सफलता है.

2. सफलता का सीक्रेट रहस्य पढ़ने से आप सभी सफल नहीं हो सकते.

यह बात बिल्कुल सही है कि यदि सफलता का रहस्य पढ़ भी लिया जाए तो भी हम सफल नहीं हो सकते जब तक कि हम इस पढ़े गए सफलता के रहस्य को अपने जीवन में उतारते नहीं मैं 100% गारंटी के साथ कहूं तो यह जो है सफलता के 6 टिप्स में आप लोग को यहां बता रहा हूं आप यह 6 success tips सिर्फ पढ़ कर अपने जीवन में सफल नहीं हो सकते .

“आपको सफल होना है तो यह सभी 6 टिप्स को अपने जीवन में उतारना पड़ेगा”

आज का युग जानकारियों का युग है और सिर्फ जानकारियों से कोई सफल हो जाए तो आज के समय में हर इंसान सफल होता इसका मतलब यह है की जानकारियों को लेकर हम इस काम में एक्सपोर्ट बनते हैं उसी से हमें सफलता प्राप्त होती है.

3. बार-बार एक चीज करने से आप Expert बनते हैं

यह बात बिल्कुल 100% प्रतिशत सही है कि यदि आप किसी चीज को बार-बार करते हैं तो आप उसमें expert बन जाएंगे . और आज के समय में बेरोजगार वही है जो किसी चीज में एक्सपोर्ट नहीं है अगर आप खुद को किसी एक स्किल में एक्सपर्ट बना लेते हैं तो आप गरीबी से कोसों दूर चले जाएंगे और अमीरी के पास रहेंगे.

क्योंकि आज के समय में किसी भी काम को लेकर अगर आपके अंदर एक्सपर्टीज हैं तो आप एक बहुत बड़े लेबल पर पहुंच सकते हो क्योंकि आपके अंदर वह क्षमता है जिससे आप उस एक्सपर्टीज से बहुत से लोगों की प्रॉब्लम का समाधान कर सकते हो.

जब आप किसी प्रॉब्लम का समाधान करते हो तो आपको रिवर्ड मिलता है लोगों से आपकी पहचान होती है आपको पैसे ही मिलते हैं आपको प्रमोशन भी मिलता है आपका नाम भी होता है आप पैसे के साथ बहुत कुछ हासिल करते हो इसी का नाम सफलता है.

कहने का मतलब यह है कि अगर आपके पास कोई हुनर है तो आप उस हुनर में इतने ज्यादा एक्सपर्ट बन जाओ कि इसी का काम आपके बिना बने ही नहीं फिर देखो कैसे आप अपने गरीबी को छोड़कर अमीरी को गले लगा कर रहोगे.

4. डिस्ट्रक्शन से बचो वरना यह आपका तन मन धन सब कुछ खत्म कर देगी

आज के समय में जितना ज्यादा जानकारियां हैं उतना ही ज्यादा डिस्ट्रक्शन है डिस्ट्रक्शन से बचना बहुत जरूरी है क्योंकि ऐसे बहुत से लोग हैं जिनका जीवन स्टेशन से खराब हो जाता है ऐसे लोगों का तन मन धन सब कुछ खत्म हो जाता है क्योंकि डिस्ट्रक्शन एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज आपको खुद ही करना होगा.

आजकल इतने ज्यादा एप्लीकेशन , सोशल मीडिया वेबसाइट , दुनिया भर की पोस्ट जानकारियां, शॉर्ट वीडियो अट्रैक्शन , बढ़ गए हैं जिनसे आप distruct हुए बिना नहीं रह सकते.

ऐसे में अगर आपने खुद को इन सभी चीजों से नहीं बचाया तो यह आपके मन मस्तिक पर बहुत प्रभाव डालती हैं और यह चीज आपकी और आपकी सफलता के बीच में मुश्किलें पैदा करती हैं.

अपने मन को अपने दिमाग को अपने मन में आने वाले विचारों को इन सभी डिस्ट्रक्शन से बचाना होगा और इन पर कंट्रोल करना होगा तभी आप अपने जीवन में बहुत जल्दी कामयाब हो सकते हो.

5. स्थिरता से आप सब कुछ हासिल कर सकते हैं

आप सोचोगे स्थिरता से सब कुछ कैसे हासिल हो सकता है लेकिन सच बोले तो स्थिरता ही हर समस्या का समाधान है स्थिरता ही हमेशा रहेगा स्थिरता से ही आप सफल बन सकते हो स्थिरता क्या है?

जब हम ज्यादा डायनेमिक होते हैं तो हमारे मन में विचारों का बहुत तेजी से आदान-प्रदान होता है ऐसे में हम सही निर्णय नहीं ले सकते और किसी भी चीज में सफल होने के लिए सही निर्णय लेना बहुत अहम होता है ऐसे में अगर आपने अपने दिमाग को स्थिर बना लिया और अपने शरीर को स्थिर तरीके से रखना सीख लिया तो आप बहुत जल्दी कम समय में सफल बन सकते हैं.

खुद को स्थिर बनाने के लिए आप अपने शरीर को साफ कुछ और योगा एक्सरसाइज के जरिए दिन की शुरुआत और रात की शुरुआत कर सकते हैं इससे आपके मन शरीर में सकारात्मक विचार ही गतिशील रहे और आपके दिमाग और शरीर से नकारात्मक विचार कोसों दूर रहें.

क्योंकि नकारात्मक विचार से आप सफल नहीं बन सकते आपको सकारात्मक विचार रखने ही पड़ेंगे और इसके लिए अपने मन और शरीर यानी तन मन धन से खुद को स्थिर बनाना जरूरी है.

6. ना रुको ना भागो सिर्फ चलते रहो मंजिल मिल जाएगी

यहां पर मैंने बोला है आपको ना रुको ना भागो सिर्फ चलते रहो यह लाइन में कई सारी बातें हैं जो जीवन में सफल होने का प्रमाण देती है क्योंकि बिना सीखे कोई इंसान सफल नहीं बन सकता और सीखने के लिए स्थिर होना जरूरी है .

लेकिन अगर आप सिर्फ लिखते रहोगे और अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक्शन नहीं लोगे तो आप बहुत लेट हो जाओगे यानी आप अपनी तरक्की से बहुत दूर हो सकते हो इसलिए ना रुको का मतलब यह है कि आप रुको मत मतलब हमेशा से एकदम स्थिर मत बन जाओ चलते रहो .

चलने से मतलब यह है कि आप एक तो नॉर्मल स्पीड पर अपने आप को move कर रहे हो. और सीख भी रहे हो तो सीखते हुए आप चल रहे हो इससे आप जो भी जरूरी चीजें हैं वह सीख जाओगे और सीखते रहोगे .

और चलते भी रहोगे यानी कि आप जो बनना चाहते हो जो हासिल करना चाहते हो उसकी पाने की दिशा में कार्य भी कर रहे हो लेकिन यदि आप भागोगे तो इसका मतलब यह है कि आप कुछ चीजों को छोड़ रहे हो .

क्योंकि भागते समय कोई सीख नहीं सकता क्योंकि जब कोई भागता है तो वह सब कुछ छोड़कर भागता है और इंसान को सफल होने के लिए जरूरी है कि वह सब को लेकर साथ में चलें.

आपने कहीं सुना होगा कि ” यदि आप सफल बनना चाहते हो तो अकेले चलो, लेकिन यदि आप बहुत ज्यादा सफल बनना चाहते हो तो सब को लेकर चलो”

सफल बनने के लिए 6 टिप्स

यहां पर मैंने आपको अपने जीवन से सीखे हुए 6 सफल टिप्स के बारे में बताया है जो कि सफल बनाते हैं और हर एक सफल इंसान के जीवन में इन बातों का जिक्र जरूर होगा जो ज्यादा सफल होंगे अगर हमें जीवन में बहुत बड़ा आदमी बनना है तो हमें सबको साथ लेकर चलना आना चाहिए अकेले हम कुछ दूर तक चल सकते हैं लेकिन ज्यादा दूर जाना है तो हमें सबको साथ लेकर चलना होगा.

यहां पर हमने सफल बनने के लिए 6 बातों के बारे में (way to success guide) बात किया है यदि आप भी अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं तो इन छह सक्सेस टिप्स (6 success tips in hindi) को जीवन में बैठा लीजिए.

इस तरह की मजेदार और सफल बनाने वाले टिप्स और पोस्ट के लिए रोजाना मेगा हिंदी पर विजिट करें और इस पोस्ट को अपने मित्रों के साथ भी शेयर करें. .

कोर्णाक सूर्य मंदिर | about konark temple in hindi

कोर्णाक सूर्य मंदिर | about konark temple in hindi

भारत में दो सूर्य मंदिर प्रसिद्ध है| एक गुजरात में मोढेरा में स्थापित है, दूसरा उड़ीसा राज्य के जगन्नाथपुरी में है| इसमें हम कोर्णाक में स्थित सूर्य मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे|G20 मैं भी कोर्णाक के सूर्य मंदिर के रथ के पहिए को दिखाया है जहां नरेंद्र मोदी जी उपस्थित होने वाले सभी देश के मेहमानों का स्वागत कर रहे थे|

इसी बात पर हमें यह आश्चर्य होता है कि G20 मैं कोर्णाक के सूर्य मंदिर का पहिया लेने का क्या कारण हो सकता है| g20 अभी बहुत ही धूम मचा रहा है क्योंकि भारत का भी समय खूब अच्छा चल रहा है| उसी बात को कोर्णाक के सूर्य मंदिर का पहिया दर्शाता है जो बहुत ही प्राचीन समय में समय को देखने के लिए काम आता था|

कोर्णाक सूर्य मंदिर | konark temple ke bare mein

सूर्य मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य के जगन्नाथ पुरी जिले में समुद्र तट पर है| सूर्य मंदिर पूरी शहर से तकरीबन 35 किलोमीटर उत्तर पूर्व में तेरहवीं शताब्दी यानी के 1250 में बना हुआ है| मंदिर का पूर्वी गंग वंश के राजा प्रथम नरसिंह देव को दिया जाता है| सन 1984 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी मान्यता दी है|

आज का जाने दो भारतीय ₹10 की नोट के पीछे कोर्णाक का सूर्य मंदिर दर्शाया जाता है जो भारतीय सांस्कृतिक विरासत को दिखाती है|

कोर्णाक सूर्य मंदिर ke bare me
कोर्णाक सूर्य मंदिर

कोणार्क के सूर्य मंदिर का प्राचीन महत्व | konark temple ke bare mein

कोर्णाक का मंदिर सूर्य देव को समर्पित है| यहां के स्थानीय लोग इसे बिरंचि नारायण भी कहते हैं| इसी कारण इस क्षेत्र को अर्क क्षेत्र कहा जाता है|अर्क का मतलब होता है सूर्य|

पुराणों की कथा के अनुसार श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को कोई श्राप से कोढ रोग हो गया था| साम्ब ने मित्र वन में चंद्रभागा नदी के सागर संगम पर पूर्णांक में 12 वर्षों तक तपस्या करके सूर्य देव को प्रसन्न किया था| सूर्य देव, जो सभी रोगों के नाश करने वाले देव थे, तो साम्ब का भी रोग का निवारण कर दिया था|

उसी बात पर साम्ब ने सूर्य भगवान का बहुत बड़ा मंदिर का निर्माण करने का निश्चय किया| अपने रोग का निवारण होने के बाद साम्ब को चंद्रभागा नदी में स्नान करते हुए उसे सूर्य देव की एक मूर्ति मिली| यह मूर्ति सूर्यदेव के शरीर के ही भाग से देव शिल्पी श्री विश्वकर्मा ने बनाई थी|साम्ब ने यह मूर्ति मित्र वन में एक मंदिर में स्थापित की सभी से यह स्थान पवित्र माना जाने लगा|

कोणार्क के सूर्य मंदिर का इतिहास | कोणार्क सूर्य मंदिर का रहस्य wikipedia | konark mandir ka itihas

एक कथा अनुसार गंग वंश के राजा नृसिह देव प्रथम ने अपने वंश का वर्चस्व सिद्ध करने के लिए मंदिर का निर्माण करने का आदेश किया| 1200 वास्तु कारों और कारीगरों की सेना ने अपनी प्रतिभा को दिखाते हुए यह मंदिर को उर्जा से परिपूर्ण करने के लिए 12 वर्षों की अथाग मेहनत से निर्माण किया|

राजा नृसिह देव प्रथम ने पहले ही अपने राज्य के 12 वर्षों की कर प्राप्ति के बराबर धन खर्च कर दिया था| इतना खर्च कर के बाद भी मंदिर के निर्माण की पूर्णता दिख नहीं रही थी| तब राजा ने एक निश्चित तिथि तक कार्य पूर्ण करने का कड़ा आदेश दे दिया था|

वास्तु कारों की टीम ने पहले ही अपनी पूरी मेहनत और हिम्मत लगा दी थी| तब विशु महाराणा का 12 वर्षीय पुत्र धर्मपाद आगे आया| उसने मंदिर के अब तक के निर्माण का वह निरीक्षण किया| धर्मपाद ने मंदिर का निरीक्षण किया परंतु उसे मंदिर निर्माण का व्याहवारिक ज्ञान नहीं था.

परंतु उसने मंदिर स्थापत्य के शास्त्रों का पूर्ण अध्ययन किया हुआ था| धर्मपाद मनी के अंतिम केंद्रीय शीला को लगाने का सुझाव दिया| यह सुझाव सबको आश्चर्य में डालने वाला था क्योंकि, धर्मपाद ने जो सुझाव दिया उसके अनुसार सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य की प्रतिमा हवा में तैरती हुई रह सकती थी|

यहां तक की मंदिर का शिखर ऐसे लोह चुंबक के इस्तेमाल से बनाया गया था कि सभी स्तंभ अच्छे से टिक सके और शायद इसी वजह से भगवान सूर्य की प्रतिमा पर सबसे पहला सूर्य का किरण पड़ता है,और भगवान सूर्य की प्रतिमा के बीच में लगा हीरा चमकता है जिससे पूरे मंदिर में उजाला हो जाता है|

अकबर का इतिहास

बाबर का इतिहास

भारत का इतिहास

धर्मपाद ने कोर्णाक के सूर्य मंदिर के विशेषता से निर्माण के बाद अपनी छाती के हित के लिए अपनी जान तक दे दी| धर्मपाद का शव सागर तट पर मिला था|

कोर्णाक के सूर्य मंदिर का स्थापत्य

कोर्णाक शब्द ‘कोंण’ और ‘अर्क’ शब्दों से बना हुआ है|’अर्क’ का अर्थ होता है सूर्य, और कोण का अभिप्राय किनारा रहा होगा| कोणार्क के सूर्य मंदिर का निर्माण लाल रंग के पत्थरों तथा काले ग्रेनाइट के पत्थरों से हुआ है| इससे तकरीबन 1236-1264 ईसा पूर्व गंग वंश के तत्कालीन सामंत राजा नृसिह से देव ने बनवाया था|

यह मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है| इसे यूनेस्को द्वारा सन् 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था|

कलिंग शैली में निर्मित इस मंदिर में सूर्य देव को व्रत के रूप में विराजमान किया गया है| तथा संघ और पत्थरों पर उत्कृष्ट सिर्फ कारीगरी देखने को मिलती है| संपूर्णा मंदिर को 12 जोड़ी चक्रों के साथ-साथ घोड़ों से खींचते हुए निर्मित किया गया है जिसमें सूर्य देव को विराजमान दिखाया गया है|

परंतु वर्तमान समय में सात घोड़ों में से एक ही घोड़ा दिख रहा है बाकी थे घोड़े खंडित हो गए हैं| मंदिर के आधार को सुंदरता प्रदान करने वाले यह 12 चक्र दरअसल साल के 12 महीनों को दर्शाते हैं| और प्रत्येक चक्र 8 आरओ से मिलकर बना है जो 1 दिन के 8 प्रहर को दर्शाते हैं|

मुख्य मंदिर तीन मंडप में बना हुआ है| जिसमें दो मंडप खंडित हो चुके हैं| 30 से मंडप में जहां मूर्ति थी वहां अंग्रेजों ने स्वतंत्रता से पहले ही रेत और पत्थर भरवा कर सभी द्वारों को स्थाई रूप से बंद करवा दिया था ताकि यह मंदिर और क्षतिग्रस्त ना हो सके| इस मंदिर में सूर्य भगवान की तीन प्रतिमाएं है;

बाल्यावस्था – जो उदित सूर्य यानी कि उगते सूर्य को दर्शाता है जो मूर्ति 8 फीट ऊंची है|

युवावस्था – जो मध्यान सूर्य को दर्शाता है जिसकी मूर्ति 9.५ ऊंची है

प्रौढ़ावस्था – अपराह सूर्य जिसकी मूर्ति 3.5 ऊंची है|

कोर्णाक सूर्य मंदिर का रहस्य

कोणार्क के सूर्य मंदिर में बहुत सारे रहस्य छुपे हुए हैं| एक रहस्य तो यह है कि,

कोणार्क के सूर्य मंदिर का मुख्य रहस्य चुंबकीय ताकत है| इस मंदिर का ऊपर का बना हुआ गुंबज चुंबकीय शक्ति लिए हुए हैं| प्रचलित कथाओं की माने तो मंदिर के ऊपर 51 मैट्रिक का चुंबक लगा हुआ था| जिसका प्रभाव इतना अधिक था कि समुद्र से गुजरने वाले जहां तक इस चुंबकीय क्षेत्र के कारण जलते हुए भटक जाया करते थे और मंदिर की ओर खींचे चले आते थे|

51 मैट्रिक का लगाया पत्थर के कारण जहाज खींचे चले आते थे| इस पत्थर के कारण पौधों के चुंबकीय दिशा निरुपम यंत्र सही दिशा नहीं बताते थे| इस कारण अपने पौधों को बचाने हेतु, मुस्लिम नाभिक इस पत्थर को निकाल ले गए| यह पत्थर एक केंद्रीय शिला का कार्य कर रहा था, जिससे मंदिर की दीवारों के सभी पत्थर संतुलन में थे| जैसे यह हटा उसके कारण मंदिर की दीवारों का संतुलन खो गया और वह गिर पड़ी|

परंतु इस घटना का कोई ऐतिहासिक विवरण नहीं मिलता और ना ही ऐसे किसी चुंबकीय केंद्रीय पत्थर के अस्तित्व का कोई सबूत मिला है|

कोर्णाक मंदिर और काला पहाड़

कोणार्क मंदिर के गिरने से संबंधित एक अति महत्वपूर्ण सिद्धांत काला पहाड़ से जुड़ा है| उड़ीसा में लिखे गए इतिहास कि तूने तो काला पहाड़ में विशन 1508 में यहां आक्रमण किया था और कोर्णाक मंदिर के साथ उड़ीसा के अन्य अभी मंदिरों को नष्ट किया था|

उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी मंदिर के मदन जी कहते हैं कि, काला पहाड़ ने उड़ीसा पर हमला किया और कोणार्क मंदिर के साथ कई हिंदू मंदिर को भी नष्ट किया था| हालांकि कोर्णाक मंदिर की दीवार है 20 से 25 फीट मोटी होने के कारण उसे तोड़ना असंभव था, तो उसने किसी भी प्रकार से मेहराब की शीला को हिलाने का प्रयास किया, जो इस मंदिर के गिरने का मुख्य कारण है|

मेहराब की शीला फटने से मंदिर धीरे-धीरे गिरने लगा और छत से भारी पत्थर गिरे जिसके कारण मुख्य साला की छवि नष्ट हो गई| इस कारण काला पहाड़ उड़ीसा के मंदिरों को नष्ट करने का कारण बना|

कोर्णाक मंदिर की वास्तुकला

कहा जाता है कि कोणार्क के सूर्य मंदिर में वास्तु दोष के कारण ही मात्र 800 साल में क्षीण होने लगा|

1. मंदिर के निर्माण में रथ की आकृति होने के कारण पूर्व दिशा एवं ईशान कोण खंडित हो गए|

2. पूर्व दिशा से देखें तो लगता है कि, ईशान और अग्नि कोणों काटकर यह वायव्य और नए रसिया नैरूत्य तीनों कोणों की ओर बढ़ गया है|

3. मुख्य मंदिर के पूर्व द्वार के सामने ही नृत्यशाला है, कहा जाता है कि इससे पूर्वी द्वार अवरोधित होने के कारण अनुपयोगी होता है|

4.नैऋर्त्य कोण मैं छाया देवी के मंदिर की नींव मुख्य मंदिर से नीची है, उसके कारण माया देवी का मंदिर और नीचा हो गया|

5. अग्निकोण मैं विशाल कुआं है|

6. दक्षिण और पूर्व दिशा में विशाल द्वार है जिसके कारण मंदिर का वैभव और महत्व क्षीण हो गए|

इस तरह देखा जाए तो कोर्णाक का सूर्य मंदिर बहुत ही खूबियों वाला है तभी तो G20 मैं नरेंद्र मोदी जी ने कोर्णाक के सूर्य मंदिर का पहिया दिखाया था और वही सबका स्वागत भी किया था|

महाराणा प्रताप कौन थे और इनका इतिहास क्या है , अकबर इनकी तारीफ क्यों करता था

महाराणा प्रताप के बारे में जानकारी | How to know maharana pratap ke bare mein

महाराणा प्रताप के बारे में जानकारी How to know maharana pratap ke bare mein

Maharana Pratap ka jivan parichay – महाराणा प्रताप ने बहुत ही वीरता से जीवन जिया था| उसी के बारे में आज इस पोस्ट में हम अच्छे से जानेंगे| आपको महाराणा प्रताप की तमाम जानकारी इस पोस्ट में मिल जाएगी| महाराणा प्रताप बहुत ही वीरता से युद्ध करके अपना जीवन जिए हैं| किसी के सामने हाथ ना फैलाना, किसी के सामने झुकना नहीं यह बहुत बड़ी बात महाराणा प्रताप में थी|

महाराणा प्रताप अकबर जैसे महान सम्राट के सामने भी नहीं झुके और युद्ध करके महाराणा प्रताप ने अकबर को हराया| आइए जानते हैं महाराणा प्रताप के बारे में और उनके जीवन के बारे में और इसके अलावा हल्दीघाटी के युद्ध के बारे में संपूर्ण जानकारी|

महाराणा प्रताप के बारे में जानकारी | How to know maharana pratap ke bare mein

महाराणा प्रताप का जन्म राजस्थान के कुंभलगढ़ में महाराणा उदयसिंह के घर हुआ था| कई लेखकों ने अपने हिसाब से महाराणा प्रताप का जन्म स्थान बताया है जैसे कि लेखक जेम्स टॉड ने बताया है कि महाराणा प्रताप का जन्मा मेवाड़ के कुंभलगढ़ में हुआ था|

महाराणा प्रताप के बारे में  जानकारी  How to know maharana pratap ke bare mein
महाराणा प्रताप का जीवन

वहीं पर इतिहासकार विजय नाहर का कहना है कि राजपूत समाज की परंपरा एवं महाराणा प्रताप की जन्म कुंडली के कालगणना के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म पाली के राज महलों में हुआ था|

महाराणा प्रताप का जन्म9 मई 1540 में
महाराणा प्रताप की मृत्यु19 जनवरी 1597 में (५६ वर्ष तक)
महाराणा प्रताप की मुख्य संतानअमर सिंह प्रथम और भगवानदास (१७ बेटे)
महाराणा प्रताप का पूरा नाममहाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया
महाराणा प्रताप के पिता का नाममहाराणा उदय सिंह
महाराणा प्रताप के माता का नाममहारानी जयवंता बाई
महाराणा प्रताप का धर्मसनातन (हिंदू)
महाराणा प्रताप की पत्नीमहारानी अजबदे पंवार
महाराणा प्रताप का जन्म स्थानकुंभलगढ़ दुर्ग , जिला -राजसमंद ,राजस्थान ,भारत
महाराणा प्रताप के बारे में मुख्य जानकारी

महाराणा प्रताप के माता पिता का नाम, जन्म , स्थान (maharana pratap ke mata , pita ka naam , birth date , birth place etc)

महाराणा प्रताप की माता का नाम जयवंता बाई (jaywanta bai) था बहुत ही निडर नारी थी| महाराणा प्रताप के पिता का नाम महाराणा उदयसिंह (maharaja udaysingh) था|

महाराणा प्रताप का ननिहाल भी पाली में ही था| हालांकि महाराणा प्रताप का बचपन भील समुदाय के साथ बिता है| दिलों के साथ ही वह युद्ध कला सीखते थे| अपने पुत्र को कीका कह कर पुकारते हैं इस वजह से भील महाराणा प्रताप को किका नाम से पुकारते थे|

पुस्तक हिंदूवा सूर्य महाराणा प्रताप के अनुसार प्रताप का जन्म (birth date of maharana pratap) हुआ था उस समय उदेशी युद्ध और और सुरक्षा से गिरे हुए थे| कुंभलगढ़ किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं था| जोधपुर के शक्तिशाली राठौड़ी राजा मालदेव उन दिनों उत्तर भारत में सबसे शक्ति संपन्न थे|

महाराणा प्रताप की नाना एवं पाली के शासक सोनगरा अखेराज मालदेव का एक विश्वसनीय सामान और सेनानायक था|

महाराणा प्रताप के जन्म से जुड़ी जानकारी | महाराणा प्रताप का जन्म कब हुआ.

इस कारण पाली और मारवाड़ हर तरह से सुरक्षित था और राठौड़ी की सेना के सामने अकबर की शक्ति भी बहुत कम थी | इस कारण जब महाराणा प्रताप का जन्म होने वाला था तब उनकी माता को पाली भेजा गया|

वही 9 मई 1540 में महाराणा प्रताप का पाली में जन्म हुआ| बेटे के जन्म का समाचार मिलते ही उदयसिंह की सेना ने युद्ध आरंभ किया और मालवीय युद्ध में बनवीर के विरुद्ध विजय प्राप्त करके चित्तौड़ के सिंहासन पर अपना अधिकार कर लिया|

महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक

महाराणा प्रताप के पिता उदयसिंह की दूसरी रानी धीरबाई जिसे इतिहास में रानी भटियाणी के नाम से जाना जाता है, अपने पुत्र कुंवर जगमाल को मेवाड़ का उत्तराधिकारी बनाना चाहती थी| प्रताप के उत्तराधिकारी होने पर इसके विरोध स्वरूप जगमाल अकबर के खेमे में चला जाता है|

महाराणा प्रताप का प्रथम राज्य अभिषेक 28 फरवरी 1572 में गोगुंदा में हुआ था, लेकिन विधि विधान से महाराणा प्रताप का तृतीय राज्य विषय 1572 ईस्वी सन् में कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था|

महाराणा प्रताप के संतानों के नाम | maharana pratap ke bete ka naam | maharana pratap ki patni ka naam | maharana pratap ki kitni rani thi

महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में कुल 11 बार शादी की थी| उनकी पत्नियों और उनसे प्राप्त महाराणा प्रताप के पुत्र और पुत्रियों के नाम इस तरह है:-

महारानी अजबदे पंवार- अमरसिंह और भगवानदास

अमर बाई राठौड़-नतथा

सहमति बाय हाडा-पूरा

अलमदेबाई चौहान-जसवंतसिंह

रत्नावती बाई परमार-माल,गज ,क्लिंगू

लखाबाई-रायभाना

जसोंबाई चौहान – कल्याण दास

चंपा बाई जनथी –कल्ला , बालदार, दुर्जन सिंह

सोलन सोलनखिनीपुर बाई –साशा और गोपाल

फूलबाई राठौर-चंदा और सीखा

खीचर आशाबाई –हत्थी और राम सिंह

महाराणा प्रताप का शासनकाल और अकबर से युद्ध

महाराणा प्रताप के शासनकाल में सबसे रोचक तथ्य है कि मुगल सम्राट अकबर बिना युद्ध के ही प्रताप को अपने अधीन लाना चाहता था| इसलिए अकबर ने प्रताप को समझाने के लिए चार राजदूत नियुक्त किए जिसमें सर्वप्रथम सितंबर 1572 ईस्वी सन् में जलाल खा प्रताप के खेमे में गया|

दूसरे क्रम में मानसीह , तीसरे क्रम में भगवान दास, और चौथे क्रम में राजा टोडरमल प्रताप को समझाने के लिए पहुंचे|

लेकिन महाराणा प्रताप ने चारों को निराश किया इस तरह राणा प्रताप ने मुगलों की अधीनता स्वीकार ने से साफ मना किया जिसके परिणाम स्वरूप हल्दीघाटी का बहुत बड़ा ऐतिहासिक युद्ध हुआ|

हल्दीघाटी का युद्ध | haldi ghati ka yuddh

यह युद्ध 4 जून 1576 में मेवाड़ तथा मुगलों के मध्य हुआ था| जिसमें मेवाड़ की सेना का नेतृत्व महाराणा प्रताप ने किया था| भील सेना के सरदार, पानवा के ठाकुर राणा पूंजा सोलंकी थे| महाराणा प्रताप के साथ रहकर लड़ने वाले एकमात्र मुस्लिम सरदार हकीम खां सूरी थे|

लड़ाई का फल गोगुंदा के पास हल्दीघाटी में एक संकरा पहाड़ी पर था| महाराणा प्रताप ने लगभग 3000 सवारों और 400 धनु धारियों के बल पर मैदान में उतरे थे|

महाराणा प्रताप ने खुद को जख्मी पाया

हल्दीघाटी के युद्ध में मुगलों का नेतृत्व आमेर के राजा मानसिंह ने किया था| 3 घंटे से अधिक समय तक चले भयंकर युद्ध के बाद महाराणा प्रताप ने खुद को जख्मी पाया जबकि उनके कुछ लोगों ने उन्हें समय दिया, जिस दौरान महाराणा प्रताप पहाड़ियों से भागने में सफल रहे |

इस युद्ध में बिंदा के झालामान ने अपने प्राणों का बलिदान देकर महाराणा प्रताप के जीवन की रक्षा की थी|

महाराणा प्रताप को सर्वश्रेष्ठ राजपूत राजा की बहादुरी की वजह से कहा गया

शत्रु सेना से गिर चुके महाराणा प्रताप को झाला मान सिंह ने अपने प्राण देकर बचाया और महाराणा को युद्धभूमि छोड़ने के लिए बोला| शक्ति सिंह ने अपना अश्व देकर महाराणा प्रताप को बचाया| प्रिय अश्व चेतक की मृत्यु हुई|

हल्दीघाटी के युद्ध में और देवर और चप्पली की लड़ाई में महाराणा प्रताप को सर्वश्रेष्ठ राजपूत राजा और उनकी बहादुरी पराक्रम चारित्र्य धर्म निष्ठा त्याग के लिए जाना जाता है|

युद्ध में राजपूतों ने मुगलों के छक्के छुड़ा दिए

इतिहासकार मानते हैं कि इस युद्ध में कोई विजय नहीं हुआ| अगर देखा जाए तो इस युद्ध में महाराणा प्रताप सिंह विजई हुए| अकबर की विशाल सेना के सामने मुट्ठी भर राजपूत कितनी देर तक टिक पाते| पर ऐसा कुछ नहीं हुआ यह युद्ध पूरे 1 दिन चला और राजपूतों ने मुगलों के छक्के छुड़ा दिए थे|

सबसे बड़ी बात यह है कि युद्ध आमने-सामने लड़ा गया था| महाराणा प्रताप की सेना ने मुगलों की सेना को पीछे हट करने के लिए मजबूर कर दिया था और मुगलों की सेना भागने भी लगी थी|

महाराणा प्रताप की मृत्यु | maharana pratap ki mrityu | महाराणा प्रताप की मृत्यु कब और कैसे हुई

उत्तर प्रदेश बंगाल बिहार और गुजरात के मुगल अधिकृत प्रदेशों में विद्रोह होने पर महाराणा प्रताप एक के बाद एक गढ़ जीतते जा रहे थे| परिणाम स्वरूप अकबर उस विद्रोह को दबाने में उलझा रहा और मेवाड़ पर से मुगलों का दबाव कम हो गया|

इस बात का लाभ उठाकर महाराणा प्रताप ने 1585 मैं मेवाड़ की मुक्ति का प्रयत्न चालू कर दिया| महाराणा प्रताप की सेना ने मुगल चौकियों पर आक्रमण शुरू कर दिया और उदयपुर समेत 36 महत्वपूर्ण स्थान पर फिर से महाराणा प्रताप ने अपना अधिकार जमा लिया|

मेवाड़ को मुक्त कराने के संघर्ष में महाराणा प्रताप का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है| मेवाड़ पर लगा अकबर नाम का ग्रहण 1585 में खत्म हुआ|

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उसके बाद महाराणा प्रताप अपने राज्य की सुख-सुविधा में जुट गए| परंतु इसके 11 वर्ष के बाद ही यानी कि 19 जनवरी 1597 में अपनी नई राजधानी चावंड में महाराणा प्रताप की मृत्यु हो गई|

महाराणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर की प्रतिक्रिया (maharana pratap ki mrityu par akbar ka opinion)

अकबर महाराणा प्रताप का सबसे बड़ा शत्रु था| दोनों की लड़ाई कोई व्यक्तिगत रेस का परिणाम नहीं बल्कि अपने सिद्धांतों और मूल्यों की लड़ाई थी| एक तरफ अकबर था जो अपने ग्रुप साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था और दूसरी तरफ महाराणा प्रताप थे जो भारत की स्वाधीनता के लिए लड़ रहे थे मातृभूमि के लिए संघर्ष कर रहे थे|

महाराणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर को बहुत ही दुख हुआ क्योंकि वह महाराणा प्रताप के गुणों का प्रशंसक था और अकबर जानता था कि इस धरती पर महाराणा प्रताप जैसा वीर कोई नहीं है| यह समाचार सुनकर अकबर रहस्यमय तरीके से मौन हो गया और अकबर की आंखों में आंसू आ गए|

महाराणा प्रताप की मृत्यु के समय अकबर लाहौर में था और वही उसे सूचना मिली थी कि महाराणा प्रताप की मृत्यु हो गई है|

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महाराणा प्रताप के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य | maharana pratap ka jivan parichay 10 line

१. महाराणा प्रताप मैं अपने पिता की युद्ध की नीति छापामार युद्ध प्रणाली का सफल प्रयोग करते हुए मुगलों पर सफलता प्राप्त की थी|

२. महाराणा प्रताप मुगल सम्राट अकबर से नहीं हारे बल्कि अकबर के सेनापतियों को धूल चटाई थी|

3. हल्दीघाटी के युद्ध में प्रताप जीते|

4.महाराणा प्रताप के विरुद्ध हल्दीघाटी में हारने के बाद स्वयं अकबर ने जून से दिसंबर 1576 तक तीन बार विशाल सेना के साथ महाराणा पर आक्रमण किया परंतु महाराणा प्रताप को खोज नहीं पाए|

5.अकबर , महाराणा प्रताप के जाल में फस कर अपनी सेना का विनाश कर बैठा|

6. महाराणा प्रताप ने सुंगा पहाड़ पर एक बावड़ी का निर्माण करवाया और सुंदर बगीचा लगवाया|

7.महाराणा की सेना में एक राजा, तीन राव, सात रावत, 15,000 अस्वरोही, सो हाथी, 20,000 पैदल और सो वाजिंत्र थे| इतनी बड़ी सेना को खाद्य सहित सभी व्यवस्थाएं महाराणा प्रताप देते थे|

8. सबसे अहम बात पृथ्वीराज चौहान जो अकबर के दरबारी कवि होते हुए भी महाराणा प्रताप के बहुत बड़े प्रशंसक थे|

9. अकबर भी महाराणा प्रताप की वीरता पर प्रशंसा करता था|

10. महाराणा प्रताप की कुल 11 रानियां थी