एक बार स्वामी विवेकानंद – Inspirational Story in Hindi | swami vivekananad

हम रात दिन कई काम करते है कोई भी काम करते हैं तो उस काम को करने का नजरिया कौन सा है दृष्टिकोण कैसा है वह बताता है कि हमारा काम कितना तेजी से और सफाई से होगा 

आज मैं आपको ऐसी ही कहानी मतलब सच्ची कहानी बताने जा रही हूं इसे पढ़कर आपका भी काम करने का नजरिया बदल जाएगा चलिए शुरू करते हैं आज की कहानी

एक बार स्वामी विवेकानंद एक बड़े से स्मारक का निर्माण हो रहा था वहां गए कैसे काम हो रहा है वह देख रहे थे उन्होंने वहां की मुलाकात ली हजारों कारीगर काम कर रहे थे वहा जाकर स्वामी विवेकानंद जी ने देखा कि सभी कारीगर एक ही काम कर रहे थे एक ही तरह का फर्क इतना था कि कोई कारीगर आनंद से काम कर रहा था तो कोई दुखी होकर  काम कर रहा था स्वामी विवेकानंद जी सोच में पड़ गए की

एक बार स्वामी विवेकानंद - Inspirational Story in Hindi

 “काम तो एक ही तरह का है और मजदूरी भी एक ही तरह की है तो फिर किसी के चेहरे पर खुशी तो किसी के चेहरे पर दुख ऐसा क्यों”?

पिछले जन्म में कोई ऐसा काम किया होगा | inspirational story hindi me | swami vivekananad story in hindi

वह जानने के लिए स्वामी विवेकानंद जी पहले उन लोगों से मिले जो दुखी देख रहे थे और वहां जाकर उन लोगों से पूछा कि आप लोग क्या कर रहे हैं तो वह कारीगरों ने कहा :

अरे! महाराज हमारे खराब नसीब की वजह से हम यहां इस तरह मजदूरी कर रहे हैं सच में हमने पिछले जन्म में कोई ऐसा काम किया होगा जिसका फल हम आज इस तरह मजदूरी करके भुगत रहे हैं ऐसा पत्थर तोड़ने का काम कर रहे हैं

इतना जानकर स्वामी विवेकानंद जी जो लोग ना खुश थे ना दुखी थे ऐसे लोगों के पास गए वहां जाकर भी स्वामी विवेकानंद जी ने यही प्रश्न किया .

“आप लोग क्या काम कर रहे हैं”

तो उन लोगों ने जवाब दिया की इस संसार में आए हैं तो हमें काम तो करना ही पड़ेगा घरवाली है बच्चे हैं तो सब को निभाने की हमारी जिम्मेदारी है तो हमें निभानी ही पड़ेगी इसलिए हम यह काम कर है 

 अंत में स्वामी विवेकानंद जी ऐसे लोगों से मिले जिनके चेहरे पर खुशी थी उन लोगों को भी यही सवाल किया तब उन कारीगरों ने जवाब तो दिया वह भी खुशी के साथ

“अरे! स्वामी जी हम लोगों को तो बहुत बड़ी देश की सेवा करने का मौका मिला है .

भगवान ने हमें इस महान काम के लिए चुना है | motivational story in hindi

जहां देश की संस्कृति को उजागर कर रहा यह स्मारक बन रहा है उसमें हम काम कर रहे हैं भविष्य में लाखों लोग इस स्मारक को देखने आएंगे और हमारी संस्कृति को पहचानेंगे हम लोग तो सच में नसीबदार है कि भगवान ने हमें इस महान काम के लिए चुना है”

बाद में विवेकानंद जी सोचने लगे कि एक ही काम और एक ही मजदूरी होने के बावजूद किसी को दुख होता है तो किसी को खुशी वह मात्र अपने विचारों से ही होता है .

कोई भी काम करने के लिए हम दुखी हो या खुश हो वह सिर्फ और सिर्फ हमारे विचारों से ही प्रकट होता है यह बात समझ आती है कि हमारा काम करने का दृष्टिकोण कैसा है क्या सोचकर हम काम कर रहे हैं

अंत में मैं इतना ही कहूंगी कि कोई भी काम करना हो चाहे नौकरी हो चाहे पढ़ाई हो चाहे धंधा हो कोई भी बस यहां जो कहानी में तीसरे लोग थे उन लोगों की तरह काम करेंगे.

तो काम कभी काम नहीं लगेगा खेल लगेगा जो हम आसानी से पार कर सकेंगे

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