सम्राट अशोक और कलिंग युद्ध | samrat ashok in hindi history

सम्राट अशोक जिस साम्राज्य पर शासन करते थे |उसकी स्थापना उनके दादा चंद्रगुप्त मौर्य ने लगभग 2300 साल पहले की थी| चाणक्य यानी कौटिल्य नाम के एक बुद्धिमान व्यक्ति ने चंद्रगुप्त की सहायता की थी| चाणक्य के कई विचार हमें अर्थशास्त्र नाम की किताब में मिलते हैं|

सम्राट अशोक और कलिंग युद्ध  samrat ashok in hindi history

कलिंग तटवर्ती उड़ीसा का प्राचीन नाम है| अशोक ने कलिंग को जीतने के लिए एक बड़ा युद्ध लड़ा गया था| लेकिन युद्ध के बाद जो हिंसा और खून खराबा देखा उसके बाद सम्राट को युद्ध से वितृष्णा हो गई|

उन्होंने निर्णय लिया कि वे भविष्य में कभी युद्ध नहीं करेंगे|

अशोक- एक अनोखा सम्राट | samrat ashok in hindi

अशोक मौर्य वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक थे| वह पहले शासक थे जिन्होंने अभिलेखों द्वारा जनता तक अपने संदेश पहुंचाने की कोशिश की|

अशोक के ज्यादातर अभिलेख प्राकृत भाषा और देवनागरी लिपि में है|

अशोक का धम्म

धम्म यानि धर्म

अशोक के धम्म में किसी देवता की पूजा अथवा किसी कर्मकांड की आवश्यकता नहीं थी| अशोक को लगता था कि जैसे पिता अपने बच्चों को अच्छे व्यवहार की शिक्षा देते हैं|

वैसे ही यह उनका कर्तव्य था कि अपनी प्रजा को निर्देश दे| वह बुद्ध के उपदेश उसे भी प्रेरित हुए थे|

ऐसी कई समस्याएं थी जिनके लिए उनमें संवेदना थी|

उनके साम्राज्य में अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग थे| और इससे कई बार टकराव पैदा हो जाता था| जानवरों की बलि चढ़ाई जाती थी| दासो और नौकरों के साथ खराब व्यवहार किया जाता था|

इनके अलावा परिवार में और पड़ोसियों के बीच भी झगड़े होते रहते थे| अशोक ने यह महसूस किया कि इन समस्याओं का निदान उनका कर्तव्य है|

इसलिए वह जगह-जगह जाकर धम्म की शिक्षा देते थे|

अशोक का कलिंग युद्ध | samrat ashok iaur kaling yuddh | कलिंग युद्ध किसके बीच हुआ

अशोक ने जो अभिलेख की रचना करवाई उसी अभिलेखों में अशोक ने कलिंग के युद्ध का वर्णन किया है| अशोक ने खुद कहा है – कलिंग युद्ध का वर्णन

” राजा बनने के 8 साल बाद मैंने कलिंग की विजय की|”

लगभग डेढ़ लाख लोग बंदी बना लिए गए| 100000 से भी ज्यादा लोग मारे गए| इससे मुझे अपार दुख हुआ| पर मुझे इतना दुख क्यों हुआ?

जब किसी स्वतंत्र देश को जीता जाता है तो लाखो लोग मारे जाते हैं और बहुत सारे बंदी बनाए जाते हैं| इसमें ब्राह्मण और श्रवण भी मारे जाते हैं|

जो लोग अपने सगे संबंधियों और मित्रों को बहुत प्यार करते हैं तथा दासो और मृतकों के प्रति दयावान होते हैं वह भी युद्ध में या तो मारे जाते हैं या अपने प्रिय जनों को खो देते हैं|

इसलिए मुझे पश्चाताप हो रहा है अब मैंने धम्म पालन करने एवं दूसरों को इसकी शिक्षा देने का निश्चय किया है|

मैं मानता हूं कि धम्म के माध्यम से लोगों का दिल जीतना बलपूर्वक विजय पाने से ज्यादा अच्छा है| मैं यह अभिलेख भविष्य के लिए एक संदेश के रूप में इसीलिए इतना कर रहा हूं कि मेरे बाद मेरे बेटे और पोते भी युद्ध ना करें|

इसके बदले उन्हें यह सोचना चाहिए कि धम्म को कैसे बढ़ाया जाए|

अशोक का भ्रमण | मौर्य वंश के संस्थापक कौन थे

अशोक ने अपने संदेश कई स्थानों पर सिलाओ और स्तंभों पर लिखवा दिए| अधिकारियों को संदेश दिया कि वह राजा के संदेश को उन लोगों को पढ़कर सुनाएं जो खुद पढ़ नहीं सकते थे|

अशोक ने धम्म के विचारों को प्रसारित करने के लिए सीरिया, मिश्र, ग्रीस तथा श्रीलंका में भी दूत भेजें|

अशोक ने सड़के बनवाई, कुए खुदवाये और विश्राम गृह बनवाए| इसके अलावा अशोक ने मनुष्य और जानवरों के लिए चिकित्सा की भी व्यवस्था की|

अशोक का संदेश | about samrat ashok in hindi

अशोक ने अपनी प्रजा के लिए संदेश लिखा है लोग विभिन्न अवसरों पर अनुष्ठान करते हैं |उदाहरण के लिए जब वे बीमार होते हैं ,जब वे बच्चों का विवाह करते हैं ,बच्चों के जन्म पर और जब यात्रा शुरू करते हैं तब वे तरह-तरह के अनुष्ठान करते हैं|

यह कर्मकांड किसी काम का नहीं|

इसके बदले यदि लोग दूसरी रीतियों को माने तो वह ज्यादा फलदाई होगी| यह अन्य प्रकार की रीतिया क्या है?

ये है – यह करना चाहिए कि अपने दोस्तों और नौकरों के साथ अच्छा व्यवहार हो| बड़ों का आदर करें सभी जीवो पर दया करें और ब्राह्मणों तथा श्रवण को दान दे|

अपने धम्म की प्रशंसा और दूसरों के धम्म कि निंदा करना, दोनों बात गलत है| हर किसी को दूसरे धर्म का आदर करना चाहिए .

यदि कोई अपने धर्म की बढ़ाई और दूसरों के धर्म की बुराई करता है तो वह वास्तव में अपने धर्म को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है|

इसलिए हर किसी को दूसरे के धर्म के प्रमुख विश्वासों को समझने की कोशिश करते हुए उसका आदर करना चाहिए|

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लिखा है,” अशोक के धर्म आदेश आज भी हम से एक ऐसी भाषा में बात करते हैं जिन्हें हम समझ सकते हैं और चीन से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं”

सम्राट अशोक को एक अनोखा शासक क्यों कहा जाता है? इस पोस्ट में आप समझ गए होंगे| एक युद्ध को देखकर अपना पूरा साम्राज्य छोड़ देना वह एक बहुत बड़े राजा की निशानी है|

अशोक ने कभी कोई एक धर्म को अपनाने के लिए नहीं कहा| अशोक मानते थे कि लोगों को अपने हिसाब से कोई भी धर्म का पालन करने देना चाहिए|

किसी के धर्म की निंदा नहीं करनी चाहिए| बस हमें अपना धर्म अच्छे से निभाना चाहिए|

सम्राट अशोक और मौर्य वंश से संबंधित कुछ सवाल जवाब

Q. मौर्य वंश के संस्थापक कौन थे

A. मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व में इस मौर्य साम्राज्य की स्थापना की 

Q. सम्राट अशोक की मौत कब हुई थी?

A. 232 ई सा पूर्व

Q. मौर्य वंश का इतिहास

A. मौर्य वंश का इतिहास यहाँ क्लिक करें

Q. मौर्य वंश का सबसे बड़ा राजा कौन है?

A. मौर्य वंश का सबसे बड़ा राजा अशोक है?

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