Padmini Ekadashi 2023 : पद्मिनी एकादशी कब है,पूजन विधि ,शुभमुहूर्त

Padmini Ekadashi 2023 kab hai पद्मिनी एकादशी कब है 

अधिक मास या फिर मल मास के शुक्ल पक्ष में पड़ जाने वाली एकादशी थी थी को कमला और पुरुष उत्तमी ekadashi कहा जाता है लेकिन इसी एकादशी को पद्मिनी एकादशी के नाम से भी जानते हैं इस बार पद्मिनी एकादशी व्रत 29 जुलाई शनिवार के दिन आएगा पद्मिनी एकादशी अधिक मास का पहला और सावन का दूसरा एकादशी है। 

Padmini Ekadashi 2023 kab hai –

पद्मिनी एकादशी अधिक मास में आती है यह एकादशी एक ऐसी एकादशी है जो अधिक मास में ही आती है अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तारीख को पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है 

पद्मिनी एकादशी को अधिक मास एकादशी ,पुरुषोत्तमी एकादशी के और मलमासी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है 2023 के व्रत में पद्मिनी एकादशी का व्रत 29 जुलाई यानी शनिवार के दिन रखा जाता है .

Padmini Ekadashi 2023पद्मिनी एकादशी कब है,पूजन विधि ,शुभ मुहूर्त के बारे में जाने

अधिक मास में पड़ने के कारण एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाएगी भगवान विष्णु को समर्पण अधिक मास औरत का महत्व बहुत ज्यादा होता है .

इस एकादशी के दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु हमारी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।

पद्मिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त (Padmini Ekadashi 2023 ka shubh muhurat) 

सावन मास की दूसरी पद्मिनी एकादशी 29 जुलाई शनिवार को मनाई जाएगी और एकादशी की तारीख 28 जुलाई शुक्रवार को दोपहर 2:51 से होगा .

और इसका समापन 29 जुलाई शनिवार को दोपहर 1:05 पर होने वाला है पद्मिनी एकादशी के व्रत का पारण का समय 30 जुलाई रविवार को सुबह 5:41 से लेकर 8:24 तक रहने वाला है।

पद्मिनी एकादशी का पूजन विधान (Padmini Ekadashi ki Pujan vidhi)

प्रातः काल में स्नान से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजा करनी होती है फिर निर्जला व्रत रखकर विष्णु पुराण का पाठ है या श्रवण करना होता है रात में भजन कीर्तन करते हुए जागरण करना होता है रात्रि में विष्णु जी और शिव जी की पूजा करना होता है.

प्रत्येक पहर के लिए भगवान को अलग-अलग उपहार दे।

जैसे कि पहले पहर में नारियल उपहार में दे सकते हैं दूसरे पहर में बेल या बेल पत्र दे सकते हैं तीसरे पहर में सीताफल और चौथे पहर में नारंगी या सुपारी आदि का उपहार दे सकते हैं द्वादशी के दिन प्रातः काल भगवान विष्णु की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा सहित विदा करना चाहिए इसके बाद ही भोजन करना चाहिए।

पद्मिनी एकादशी का महत्व (Padmini Ekadashi Ka mahatva)

ऐसा भी माना गया है कि पद्मिनी एकादशी भगवान विष्णु जी को बहुत ज्यादा प्रिय है इसलिए इस उपवास का विधि पूर्वक पालन करने वाले को विष्णु लोक मिलता है तथा हर प्रकार के यज्ञ औरतों एवं तपस्या का फल प्राप्त कर लेता है।

पद्मिनी एकादशी व्रत कथा (Padmini Ekadashi Katha in Hindi) 

कथाओं के अनुसार त्रेता युग में एक बहुत ही पराक्रमी राजा कीर्ति वीर था इस राजा की बहुत सी रानियां थी लेकिन किसी भी रहने से राजा को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई लेकिन संतान होने के कारण राज्य और उसकी रानियां सभी सुख-सुविधाओं के बावजूद भी दुखी ही रहते थे संतान की प्राप्ति की कामना से तब से राजा अपनी रानियों के साथ तब करने चल पड़ा हजारों वर्षों तक तपस्या करते हुए राजा की सिर्फ हड्डियां ही शेष रह गई थी.

परंतु उनकी तपस्या का फल ना मिल सका रानी नेतल देवी अनुसूया से पूछा कि हे देवी इसका कोई उपाय बताइए देवी ने उन्हें मल मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने के लिए कहा था अनुसूया ने रानी को व्रत का विधान भी बता दिया .

रानी ने तभी से देवी अनसूया के बताए विधान के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा फिर व्रत की समाप्ति पर भगवान प्रकट हुए और वरदान मांगने के लिए बोला रानी ने भगवान से कहा हे भगवान आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मेरे बदले मेरे पति को वरदान दे दीजिए.

भगवान ने तब राजा को वरदान मांगने के लिए बोला तब राजा ने भगवान से कहा हे भगवान मुझे ऐसे पुत्र रत्न pradan Karen Jo teenon lokon mein aadarniy ho aur aapke Siva kisi se parajit Na Ho। 

भगवान तथास्तु करके चले गए कुछ समय के बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया जो कार्तवीर्यार्जुन के नाम से जाना और पहचाना गया कालांतर में यह बालक बहुत पराक्रमी राजा हुआ .

उसके बाद जितने रावण को भी बंदी बना लिया ऐसा कहते हैं कि सर्वप्रथम भगवान कृष्ण ने अर्जुन को पुरुषोत्तम ई एकादशी के व्रत की कथा सुना कर इसके महातम में से अवगत करवा दिया था। 

इसलिए पद्मिनी एकादशी का बहुत महत्व है इस दिन जो भी एकादशी का व्रत रखता है भगवान उस पर प्रसन्न होते हैं और उसे वरदान देते हैं व्रत रखने वाले की मनोकामना पूर्ण होती है।

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