मणिपुर घटना का इतिहास कनेक्शन | madipur ghatna in hindi | Know about

madipur का etihas vs madipur ghatna – यदि आपको मणिपुर की समस्या की जड़ जानने की इच्छा है तो Post को जरूर पढ़ें वह लोग जो मणिपुर का रास्ता नहीं जानते पूर्वोत्तर के राज्यों की राजधानी शायद जानते हो लेकिन कोई दूसरे शहर का नाम तक नहीं बता सकते उनके नाम को बढ़ाने के लिए बता दूं

जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पूर्वोत्तर की और भी कदम बढ़ाए जहां उनको चाय के साथ तेल भी था । उनको इस पर डाका डालना था उन्होंने वहां पाया कि यहां तो लोग बहुत सीधे सरल है और यह लोग वैष्णव सनातनी है परंतु चंबल और पहाड़ों में रहने वाले यह लोग पूरे देश के अन्य भाग से अलग है तथा इन सीधे-साधे लोगों के पास बहुमूल्य संपदा है

तब अंग्रेजों ने सबसे पहले यहां के लोगों को देश की अन्य जमीन विस्तार से पूरी तरह से काटने को सोचा इसके लिए अंग्रेज लोग इनर परमिट और आउटर परमिट की व्यवस्था ले आए| इसके अंतर्गत कोई भी इस इलाके में आने से पहले परमिट बनवा आएगा और एक समय सीमा से आगे नहीं रह सकता .

परंतु इसके उलट अंग्रेजों ने अपने भवन बनवाए और अंग्रेज अफसर को रखा जो चाय की पत्ती उगाने और उसको बेचने का काम करते हैं|

मणिपुर घटना का इतिहास कनेक्शन | madipur ghatna in hindi | Know about

मणिपुर घटना का इतिहास | Madipur ka itihas

अंग्रेजों ने देखा कि इस इलाके में ईसाई नहीं है तो उन्होंने ईसाई मिशनरी को उठा उठा कर यहां भेजा मिशनरियों ने इस इलाके के लोगों का आसानी से धर्म परिवर्तित करने का काम शुरू कर दिया जब खूब लोग ईसाई में परिवर्तित हो गए तो अंग्रेज को ईसाई राज्य बनाने का सपना दिखाने लगे साथ ही उनका इरादा यह था कि पूर्वोत्तर से चीन भारत तथा पूर्वी एशिया पर नजर बनाए रखें|

अंग्रेजों नेएक चाल औरचली उन्होंने धर्म परिवर्तन करके ईसाई बने लोगों को एसटी का दर्जा दिया तथा उनको कई सरकारी सुविधाएं दी|

कुकी का सच | truth of kuki community | madipur ghatna

अंग्रेजों ने जिसका धर्म परिवर्तन किया धर्म परिवर्तित करने वाले लोगों को कुकी जनजाति (kuki community) और वैष्णव लोगों को मैंतई समाज कहा जाता है|सब इतने अलग राज्य नहीं थे और बहुत सारे नगा लोग भी धर्म परिवर्तित करके ईसाई बन गए .ये भी पढिए – madipur की वाइरल वीडियो वाली घटना क्या है दिल दहल जाएगा

धीरे-धीरे ईसाई पंथ को मानने वालों की संख्या वैष्णव लोगों से अधिक या बराबर हो गई मूल लोग सदा अंग्रेजों से लड़ते रहे जिसके कारण अंग्रेज इस इलाके का भारत से विभाजन करने में नाकाम रहे .

परंतु वह मैंतई हिंदुओं की संख्या कम करने और धर्म परिवर्तित लोगों को अधिक करने में कामयाब रहे मणिपुर के साथ में लिखो 90% जमीन पर कुकी और नागा का कब्जा हो गया जबकि10% पर ही मैंतई रह गए|

Madipur ka viral video – watch it Now

अंग्रेजों ने इस इलाके में अफीम की खेती को भी बढ़ावा दिया और उस पर ईसाई कुकी को कब्जा करने दे दिया|

ऊपर दी गई जो बातें हैं वह आजादी के पहले की बात है अब मैं आपको आजादी के बाद मणिपुर के क्या हालात है वह बताने जा रही हूं

आजादी के बाद मणिपुर | madipur after freedom of india | madipur ghatna

आजादी के समय वहां के राजा थे बोधचंद्र सिंह उन्होंने भारत में विलय का निर्णय किया 1949 मैं उन्होंने नेहरू को बोला कि मूल वैष्णव जोकि 10% भूभाग में रह गए हैं उनको एसटी (ST) का दर्जा दिया जाए | नेहरू ने उनको जाने के लिए कह दिया फिर 1950 मैं संविधान अस्तित्व में आया तो नेहरू ने मैंतई समाज को कोई छूट नहीं दी|

1960 मैं नेहरू सरकार द्वारा लैंड रिफॉर्म एक्ट लाया जीसमें 90% जमीन वाले खुशी और नागा ईसाईयों को एसटी में डाल दिया गया|

इस एक्ट में यह प्रावधान भी था जिसमें 90% कुकी नगा वाले कहीं भी जा सकते हैं रह सकते हैं और जमीन खरीद सकते हैं परंतु 10% के इलाके में रहने वाले मैंतई हिंदुओं को यह सब अधिकार नहीं था|

यहीं से मैंतई लोगों का दिल ही से विरोध शुरू हो गया| नेहरू एक बार फिर पूर्वोत्तर के हालात को ठीक करने नहीं गए|

दूसरी तरफ ब्रिटेन की mI6 और पाकिस्तान की ISI मिलकर कुकी और नगा को हथियार देने लगी इसका उपयोग वह भारत विरोध तथा मैंतई वैष्णव को भगाने के लिए करते थे| मैंतई के लोगों ने इसका जमकर मुकाबला किया| सदा से इलाके में कांग्रेस और कम्युनिस्ट लोगों की सरकार रही और वह कुकी तथा नगा ईसाइयों के समर्थन में रहे।

क्योंकि लड़ाई पूर्वोत्तर में ट्राइबल जनजातियों के अपने अस्तित्व की थी तो अलग-अलग फ्रंट बनाकर सब ने हथियार उठा लिया पूरा पूर्वोत्तर आईएसआई के द्वारा एक लड़ाई का मैदान बन गया जिसके कारण निजी जनजातियों में शस्त्र विरुद्ध विद्रोह शुरू हुआ।

बिन दिल्ली के समर्थन जनजातियों में आई एस आई (isi) समर्थित कुकी नगा और म्यानमार से भारत में अनधिकृत रूप से आए चीन जनजातियों से लड़ाई करते रहे।

जानकारी के लिए बता दें कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट में मिशनरी के साथ मिलकर म्यानमार से आए इन चीन जनजातियों को मणिपुर के पहाड़ी इलाकों और जंगलों की नागरिकता देकर बसा दिया यह chin लोग ISI के पाले kuki तथा naga लोगों के समर्थक थे।

तथा वैष्णव मैंतियों से लड़ते थे पूर्वोत्तर का हाल खराब था जिसका पॉलिटिकल सलूशन नहीं निकाला गया और 1 दिन इंदिरा गांधी ने आदिवासी इलाकों में air strike का ऑर्डर दे दिया जिसका आर्मी तथा वायु सेना ने विरोध किया परंतु राजेश पायलट तथा सुरेश कलमाडी ने एयर स्ट्राइक किया और अपने लोगों की जानें ली इसके बाद विद्रोह और खूनी तथा सशस्त्र हो गया।

1971 मे पाकिस्तान विभाजन और बांग्लादेश अस्तित्व आने से ISI के एक्शन को झटका लगा परंतु म्यानमार उसका एक खुला एरिया था।

उसने म्यानमार के 3 लोगों का मणिपुर में entry कराया। जिसका कांग्रेस तथा उधर म्यानमार के अवैध चीन लोगों ने जंगलों में डेरा बनाया और वहां ओपियम यानी अफीम की खेती शुरू कर दिया ।

पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर , मिजोरम और नगालैंड दशकों तक कुकीयो और चीन लोगों के अफीम की खेती तथा तस्करी का खुला खेल का मैदान बन गया। madipur का प्राचीन इतिहास

म्यानमार से ISI तथा mi6 ने इस अफीम की तस्करी के साथ हथियारों की तस्करी का एक पूरा इकॉनमी खड़ा कर दिया जिसके कारण पूर्वोत्तर के इन राज्यों की बड़ी जनसंख्या नशे की आदी हो गई नशे के साथ हथियार उठाकर भारत के विरुद्ध युद्ध फलता फूलता रहा।

मणिपुर में 2014 के बाद की परिस्थिति | madipur ghatna

मोदी सरकार ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी के अंतर्गत पूर्वोत्तर पर ध्यान देना शुरू किया, NSCN – तथा भारत सरकार के बीच हुए “नागा एकार्ड “ के बाद हिंसा में कमी आई।

भारत की सेना पर आक्रमण बंद हुए।

भारत सरकार ने अभूतपूर्व विकास किया जिससे वहां के लोगों को दिल्ली के करीब आने का मौका मिला।

धीरे-धीरे पूर्वोत्तर से हथियार आंदोलन समाप्त हुए भारत के प्रति यहां के लोगों का दुराव कम हुआ और रणनीति के अंतर्गत पूर्वोत्तर में भाजपा की सरकार आई वहां से कांग्रेसी और कम्युनिस्ट का लगभग समापन हुआ इसके कारण इन पार्टियों का एक प्रमुख धन का स्रोत जो की अफीम तथा हथियारों की तस्करी था वह भी चला गया यानी खत्म हो गया।

इसके कारण इन लोगों के लिए किसी भी तरह पूर्वोत्तर में हिंसा और अशांति फैलाना जरूरी हो गया था जिसका यह लोग बहुत समय से इंतजार कर रहे थे।

मणिपुर में हाल ही में दो घटनाएं घटी | madipur ghatna

मणिपुर में घटी पहली घटना

मणिपुर उच्च न्यायालय ने फैसला किया कि अब मैंतई जनजाति को st का स्टेटस मिलेगा। इसका परिणाम यह हुआ कि नेहरू के बनाए फार्मूला का अंत हो जाएगा ।

जिससे मैंतई लोग भी 10% के पढ़े हुए भूभाग की जगह पर पूरे मणिपुर में कहीं भी रहे सकेंगे और अपने लिए जमीन ले सकेंगे। लेकिन यह कुकी और नगा को मंजूर नहीं था।

मणिपुर में घटी दूसरी घटना

मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने कहा कि सरकार पहचान करके म्यानमार से आए अवैध सिंह लोगों को बाहर निकाल लेगी और अफीम की खेती को समाप्त करेगी इसके कारण तस्करी करने वालों का gang सदमे में आ गया।

इसके बाद ईसाई कूकियों और ईसाई नगाओं (naga community) ने अपने दिल्ली बैठे आकाओं, कम्युनिस्ट लुटियन मीडिया को जागृत किया। पहले इन लोगों ने अखबारों और मैगजीन में गलत लिख लिखकर और उल्टी जानकारी देकर शेष भारत के लोगों को बरगलाने का काम शुरू किया।

उसके बाद दिल्ली से सिग्नल मिलते ही ईसाई कूकियों और ईसाई नगाओ ने मैंतई वैष्णो लोगों पर हमला बोल दिया। इसका जवाब मैंतई लोगों ने बखूबी दिया।

और इन लोगों को बुरी तरह से कुचल दिया जोकि कुकी – नगा के साथ दिल्ली में बैठे उनके आकाओं के लिए भी अभूतपूर्व था। लात खाने के बाद यह लोग अपने आदत अनुसार विक्टिम कार्ड खेल कर रोने लगे।

अब भारत की मीडिया का 1 वर्ग ही जो कम्युनिस्ट तथा कांग्रेस का प्रवक्ता है अब रोएगा क्योंकि पूर्वोत्तर में मिशनरी अवैध घुसपैठियों और तस्करों के बिल में मणिपुर तथा केंद्र सरकार ने खोलता तेल डाल दिया है।

Note – जानकारी को ranjay tripathi ji ने लिखा है जिसे हमने आपके साथ शेयर किया है.

इस घटना में आपकी क्या राय है नीचे कमेंट करके बताइए