पत्थर तोड़ने वाले की कहानी | short hindi motivational story | How to become A Powerfull Leader in 2023

short hindi motivational story, Become powerfull leader , hindi prernadayak kahani एक बात तो बहुत ही बढ़िया कही गई है कि अगर कोई आपसे कम पैसे वाला हो तो आपको खुशी होती है मगर कोई आपसे अमीर दिख जाए तो आप वहीं पर दुखी हो जाते हैं|इन दोनों ही स्थिति में मनुष्य को नुकसान ही होता है क्योंकि हमें netagtive thoughts मिलती है जो हमारे जीवन के लिए नुकसान कारक है| 150 से ज्यादा Best hindi motivational quotes (हिंदी मोटिवेशनल कोट्स)

इसका मतलब यह नहीं है कि आप को आगे बढ़ने के लिए प्रयास ही नहीं करना है क्या आपको पैसे वाला बनने के लिए मेहनत ही नहीं करनी है| मैं आपको यह कहना चाहती हूं कि आपको आलस नहीं करनी है और अपना काम करते रहना है|इसी के बारे में यह कहानी है जो मैं आपको कहना चाहती हूं तो चलिए शुरू करते हैं कहानी|

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short hindi motivational story: hindi motivational story

एक गांव में एक इंसान रहता था| जिसका नाम मोहन था| मोहन पत्थर तोड़ने का काम करता रहता था| घर से थोड़ी दूरी पर एक पहाड़ था उस पहाड़ के पत्थर तोड़ता और अपना जीवन बिताता था| 1 दिन मोहन सोचता है कि क्या जिंदगी भर में यही काम करता रहूंगा? क्या मेरी जीवन में कोई तरक्की ही नहीं होगी?

बस इसी तरह मोहन को इस बात से मन में संतुष्टि की भावना आ गई| जिसके कारण मोहन की रातों की नींद उड़ गई| मोहन बस एक ही सपना देखता रहता था कब मैं बड़ा आदमी (rich man) बनूंगा?

एक रात जब मोहन सो रहा था तो उसने सपना देखा| सपने में मोहन ने देखा कि पत्थर तोड़ने जब जा रहा था तो उसे रास्ते में एक बड़ा बंगला दिखाई दिया| मोहन ने सोचा कि यह बंगला यह सबसे बड़ा है तो यह बंगला मेरे पास होना चाहिए|

मोहन बहुत देर तक बंगले को देखता ही रहा| थोड़ी देर के बाद वहां एक आदमी आता है| जिसको सभी लोग फूलों का हार पहना रहे थे| सपने में वह मोहन को वह आदमी एक राजनेता जैसा लगा| मोहन ने सोचा कि बांग्ला (flat) तो बड़ा है पर उससे भी बड़ा वह आदमी है जिसका इतना सम्मान सभी लोग कर रहे हैं इतना मान दे रहे हैं|

मोहन को अब लगा कि उसे अभी बंगला नहीं चाहिए बंगला से बड़ा आदमी का मान होता है तो मुझे नेता (leader) बनना है जिससे मुझे भी लोग इतना मान दे| लोग मेरा भी सम्मान करें| बांग्ला और नेता दोनों को देखने में मोहन को इतना पसीना आ रहा था तो उसने ऊपर देखा तो सूर्य (sun) चमक रहा था|

मोहन को लगा कि सबसे बड़ा तो सूरत है जो सबको इतना उजाला दे सकता है और ऊपर चमक कर सबको रोशनी देता है| मुझे भी सूरज बनना है|

मुझे तो हवा बनना है जो सबसे ताकतवर है (Powerfull Hindi Motivational Story)

मोहन सूरज को देख ही रहा था कि अचानक एक घना बादल आया और सूरज को एकदम छिपा दिया| मोहन ने सोचा भी मुझे सूरज नहीं बादल बनना है क्योंकि बादल तो सूरज को भी लग सकता है|मोहन अब बादल को देखी रहा था तब हवा का झोका आता है और बादल को वहां से हटा देता है| मोहन सोच रहा था कि यह क्या एक हवा का झोंका पूरे बादल को उड़ा ले जा सकता है? मुझे तो हवा बनना है जो सबसे ताकतवर है|

मोहन हवा को देख ही रहा था तब हवा पहाड़ से टकराई और हवा ने अपनी दिशा ही बदल दी| मोहन ने सोचा अब मुझे पहाड़ बनना है|

तभी मोहन देखता है कि एक आदमी आता है और पहाड़ को धीरे-धीरे तोड़ रहा है, टुकड़े कर रहा है| मोहन सोच रहा है कि क्या इंसान इतना ताकतवर है वह पहाड़ को जो हवा से टस से मस नहीं हुआ वह एक मामूली आदमी से टूट रहा है|अब मोहन बार-बार एक ही बात सोच रहा था यह कभी नहीं हो सकता| मुझे पत्थर तोड़ने वाला नहीं बनना| कुछ भी हो जाए मुझे पत्थर तोड़ने वाला तो बनना ही नहीं है| क्योंकि मोहन खुद ही पत्थर तोड़ता था|

तभी मोहन की आंख खुल जाती है और सोच में डूब जाता है कि जिस हाल में मैं हूं, और जो मैं काम करता हूं वह सब ठीक है| यानी सबसे बड़ा तो मैं ही हूं जो बड़े से बड़े पहाड़ को तोड़ सकता है|

सीख: हमे जो मिला है, उसकी हमें कद्र करनी चाहिए| क्योंकि भगवान ने जो हमें दिया है वह सोच समझकर ही दिया है| इंसान में जितनी काबिलियत होती है उतना उससे मिल ही जाता है| मन में हमें हीन भावना नहीं रखनी चाहिए कि मैं छोटा हूं और मुझसे कितने ही लोग आगे है|

हमें तो अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए और हमेशा ही एक आशावादी की तरह होना चाहिए| जिस इंसान के जीवन में आशा नहीं होती वह मरे हुए इंसान की तरह है|

दुनिया में कोई भी इंसान सर्वगुण संपन्न नहीं होता कोई ना कोई कमी होती ही है| हमें उसी कमी को दूर करके आगे बढ़ना है|

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अंत में मैं यह कहना चाहती हूं कि भगवान ने आपको जिस हाल में रखा है उसी में खुश रहना सीखें और हमेशा अपने जीवन में आगे बढ़ने का प्रयत्न करते रहे|आप मात्र अपने जीवन में आगे बढ़ते रहे क्योंकि आपने सुना होगा ठहरा हुआ पानी बदबूदार हो जाता है मगर बहता हुआ पानी साफ और निर्मल होता है|

हमें भी हमारे जीवन में बहते हुए पानी की तरह हमेशा आगे ही बढ़ना चाहिए| यदि हमें अपने जीवन में खुश रहना है तो दूसरों से हमें अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए क्योंकि दूसरों से तुलना करने में ही हम अपने आप को दुखी करते हैं|

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बाज की कहानी

देखा जाए तो पूरी दुनिया में कई तरह के पक्षी पाए जाते हैं| इन पक्षियों के दो पंछी दो हाथ और गर्दन यही सब होता है| मगर सभी पक्षियों में से बाज की बात ही अलग है| बाज एक ऐसा पक्षी है जो आसमान में सबसे ऊपर हजारों मीटर ऊपर यानी कि 120 km/h तक उड़ सकता है|

बाज अपने वजन से ज्यादा वजन वाले शिकार को अपने पंजे में दबोच कर उड़ भी सकता है| इसीलिए ही पक्षियो का राजा कहा जाता है| बस इतना ऊंचा मुकाम कैसे हासिल करता है? इसका जवाब है बाज की ट्रेनिंग और उसका पुनर्जन्म|

अगर आप भी बाज की तरह दुनिया में मुकाम हासिल करना चाहते हो तो बाज को बाज बनाने का पूरा सफर जानना जरूरी है| क्योंकि दुनिया में 25 से 30 उम्र तक आने के बाद भी लोगों को रिस्क लेने से डर लगता है|

बाजी यही समझा रहा है कि जीवन में रिस्क लेना कितना जरूरी है क्योंकि बाज के जीवन की सर्वाधिक से होती है| देखा जाए तो इस उम्र में बाकी पक्षियों के बच्चे सिर्फ ची-ची बोलना सीखते हैं वहीं पर मादा बाद अपने बच्चों को पंजों में दबोच कर हजारों मीटर आसमान की ऊंचाई में उड़ती है|

उसी समय बाज को बताया जाता है कि तेरा जन्म आसमान का सीना चीर के सबसे ऊपर उड़ने के लिए हुआ है, क्योंकि तू पक्षियों का बादशाह है|

मादा बाज जमीन से हजारों मीटर ऊपर ले जाकर पंजे से बच्चे को छोड़ देती है यहीं से शुरू होती है बाज की ट्रेनिंग| बच्चा जमीन की तरफ तेजी से गिरने लगता है थोड़ा नीचे जाते हैं उसके पंख खुलने लगते हो और नीचे आते आते अपने पंख को फड़फड़ाने लगता है और उड़ना चालू हो जाता है|

बाज का बच्चा उड़ता है मगर अभी सिर्फ जमीन से कुछ ही ऊपर उड़ता है लगता है कि कुछ कर नहीं उसका जीवन समाप्त हो जाएगा लेकिन उसकी मां का पंजा आकर उसको दबोच लेता है और फिर आकाश में ऊंचे उड़ जाता है| बाज को यह ट्रेनिंग अपनी मां के द्वारा मिलती है और यह ट्रेनिंग तब तक चलती रहती है जब तक वह उड़ना नहीं सीख लेता|

इतनी ऊंचाई से गिरते लड़ते फिर एक बार150km/h की ऊंचाई बढ़ सकता है| दुनिया को हमें एक बात जैसा पक्षी मिलता है|

बारिश की बात करें तो सभी पक्षी अपने घोसले में छिपे रहते हैं और आश्रय की तलाश में रहते हैं| तभी बाज बारिश में भी आसमान को चीरते हुए ऊपर चला जाता है| बाज शायद बादलों से बातें करते हुए कहता है तू बरस ले जितना बरसना हो मैं पीछे नहीं हटूंगा|

बात की उम्र कितनी होती है?

एक बात की उम्र लगभग 70 साल होती है| बात जब 40 साल का होता है तब एक परेशानी उसकी जिंदगी में मौत बनकर आती है जो आपकी परेशानियों की तुलना में बहुत बड़ी होती है| क्योंकि 40 साल की उम्र में बाज की सोच इतनी मुड़ जाती है कि उसको शिकार करने में और यहां तक कि खाने में भी दिक्कत हो जाती है|

बाज के पंख भारी हो जाते हैं छाती से चिपकने लगते हैं जिससे बात का उड़ना बहुत ही मुश्किल हो जाता है| यहां तक कि पंजाबी लंबे और लचीले हो जाते हैं जिससे वह शिकार को सही से पकड़ भी नहीं सकता |यह सब होता है बाज की 40 साल की उम्र में ही|

बाज के पास तीन रास्ते रहते हैं

1.वह अपना शरीर ही त्याग दें|

2. गीद्ध की तरह किसी के खाकर छोड़े हुए भोजन पर निर्भर हो|

3.आखरी सबसे कठिन और पीड़ादायक रास्ता है कि बाज को पुनः स्थापित कर फिर से आसमान का सीना चीर कर उड़ना|

बाज भी हार ना मानकर इसी तीसरे रास्ते को ही अपना आता है| बाज अपना घोंसला फिर से बनाता है और परेशानियों को जड़ से ही उखाड़ कर आसमान में उड़ने का सफर वह अपनी सोच को एक चट्टान पर मार मार कर तोड़ देता है और लहूलुहान हो जाता है| बाद में इंतजार करता है अपनी नई सोच आने तक का|

बाज कि नई चोंच आने के बाद वही चोंच से अपने पंजों को ही काट देता है| और फिर इंतजार करता है नए पंजे को आने का| जब बाज के नए पंजे आ जाते हैं तब वह अपने पंख को शरीर से अलग कर देता है| नए पंख उगने के लिए 5 महीने लगते हैं|

5 महीनों की परेशानियों के बाद बाज का पुनर्जन्म होता है तो फिर से तैयार होता है आसमान में उड़ने के लिए| आखिरकार फिर से बाज आसमान को चीर कर बादल के पास चला जाता है और कहता है| अब मैं वापस आ गया|

कहीं ना कहीं हमारे साथ भी यह तीन रास्ते आते हैं जो हमारी जिंदगी में एक नया मोड़ा लाते हैं| ज्यादातर लोग तीन रास्तों में से पहला ही रास्ता अपनाते हैं जो रास्ता है सुसाइड का| इंसान या नहीं समझता की मुश्किलें तो कितनी आती है अगर हम मुश्किलों से डर जाए तो हमें बस यह सुसाइड वाला ही रास्ता अपनाना पड़ेगा|

मैं कहता हूं कि बात की तरह हमें भी आगे बढ़कर सोचना चाहिए और अपनी जिंदगी में जितनी भी मुसीबत आए उसका डटकर सामना करना चाहिए| आखिरकार हमें बाज की तरह पंख तो काटने नहीं पड़ेंगे, पंजे तो काटने नहीं पड़ेंगे तो हम इतना डरते क्यों है|

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