Prithviraj chauhan ko kisne mara?पृथ्वीराज चौहान को किसने मारा? who killed prithviraj chauhan in hindi explain ..Prithviraj chauhan ki shadi , Prithviraj chauhan ki kitni raniya thi ,Prithviraj chauhan ke shasan ka ant ,Prithviraj chauhan ki himmat , Prithviraj chauhan ki maut , Prithviraj chauhan ki kahani
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आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे की महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान के बारे में (पृथ्वीराज चौहान का इतिहास) एक ऐसा तथ्य जो शायद ही कोई जानता है पृथ्वीराज चौहान के युद्ध के बारे में तो बहुत सुना होगा मगर पृथ्वीराज चौहान को किस तरह और किसने मारा वह आज हम इस पोस्ट में जानेंगे चलिए शुरू करते हैं।
पृथ्वीराज चौहान की शादी:
पहले के राजा एक के अलावा कितनी रानियां रखते थे। मतलब की कितनी बार शादी करते थे। इसी तरह पृथ्वीराज चौहान की भी पद्मावती इसके अलावा संयोगिता नाम की स्त्री से शादी हुई थी। संयोगिता दिखने में बहुत ही सुंदर थी। पृथ्वीराज चौहान के पतन की शुरुआत भी यहीं से होती है ।
दरअसल एक दिन पृथ्वीराज चौहान शिकार के शौक के कारण बाघ को खोजने में इधर-उधर घूम रहे थे। तभी एक तपस्वी को देखा जो बाघ का चर्म पहनकर तपश्चार्य कर रहे थे। पृथ्वीराज चौहान ने उसको देखा और लगा कि यह बाध है, तो बाघ को मारने के चक्कर में पहले धुआं करता है, धुएं से परेशान ऋषि ने श्राप दिया कि 1 साल के अंदर ही तेरा वैभव नष्ट हो जाएगा ।इस श्राप के कारण पृथ्वीराज चौहान की आंखें शर्म से झुक जाती है और वहां से महल लौट आते हैं।
पृथ्वीराज चौहान शासन का अंत:
पृथ्वीराज चौहान अब दरबार न जाकर केवल संयोगिता के पास ही बैठे रहते थे।जिसके कारण महल में क्या हो रहा है कुछ भी पृथ्वीराज चौहान को पता नहीं चलता। जिसका फायदा लेकर दुश्मन चोक्क्ना हो जाते हैं।उसी में एक था जयचंद जो पृथ्वीराज से बदला लेने के लिए शहाबुद्दीन मुह्हमद धोरी को संदेश भिजवाता है कि “अभी तैयारी करके पृथ्वीराज चौहान पर हमला करो।” शहाबुद्दीन मुह्हमद धोरी को यह संदेश पहुंचाने के बाद दूत जयचंद राठौर के पास चला आता है।
अभी शहाबुद्दीन एक के बाद एक भारत में राज्य जीतने के बाद आगे चल ही आ रहा था। अंत में पृथ्वीराज चौहान के पास पहुंचता है।
उसके थोडे समय पहले ही थक-हारकर चंद नाम के बारोट ने पृथ्वीराज चौहान को चिट्ठी लिखी। वह चिट्ठी दासी ने संयोगिता को दी मगर संयोगिता ने चिट्ठी पढ़कर फाड़ दी। पृथ्वीराज चौहान को पता भी नहीं चलने दिया।दासीने जाकर कवि चंद बारोट को बहुत ही खरी खोटी सुनाई।
पृथ्वीराज चौहान के ससुर समर सिंह लश्कर लेकर आ पहुंचे मगर पृथ्वीराज को तो पता ही नहीं था।अंत में समर सिंह ने एक चिट्ठी लिखी जो राज गृह के तोते के साथ भिजवाई तोता पृथ्वीराज चौहान की गोद में बैठा जहां पृथ्वीराज ने चिट्ठी पढी और चिट्ठी पढ़ते ही पृथ्वीराज चौहान रानी वास छोड़कर चला गया।
समर सिंह ने पृथ्वीराज चौहान को बहुत बातें सुनाई मगर पृथ्वीराज चौहान ने मुंह तक नहीं खोला और दोनों शहाबुद्दीन धोरी के सामने लड़ने के लिए निकल पड़े।
पृथ्वीराज चौहान का अंत :
मोहम्मद धोरी के पास 9 लाख सिपाही थे जो थानेसर के मैदान के पास रुके थे। दूसरे कुछ सैनिक मोहम्मद धोरी के साथ जंगल में छुपे थे जो अंत समय में आ सके।पृथ्वीराज भी अपना लश्कर लेकर वहां आ गया। पृथ्वीराज को यकीन था कि उसके मित्र सभी मदद के लिए पहुंचेंगे मगर कोई नहीं आया। उसका कारण था विजय सिंह की गद्दारी। उसने कई राजाओं को मदद के लिए पत्र भी नहीं पहुंचाया था।मगर पृथ्वीराज हिम्मत नहीं हारा।
पृथ्वीराज चौहान का पतन के पीछे है एक गहरा राज:
पृथ्वीराज चौहान को एक बात का बहुत ही आश्चर्य था की कवि चंद को हमीर सिंह राजा को लेने के लिए भेजा था। वह हमीर सिंह तो मोहम्मद धोरी की फौज के पास खड़ा था और कवि चंद तो कहीं दिखाई ही नहीं दे रहा था।
पृथ्वीराज चौहान को लगा कि कही मोहम्मद धोरी ने कवि चंद को मार तो नहीं दिया और हमीर सिंह को अपने साथ तो नहीं ले लिया। मगर इस बात का अफसोस करने का कोई समय नहीं था ।इसी प्रकार पृथ्वीराज चौहान ने अफसोस करने की बजाय अपने आसपास का लश्कर देखा और सुबह होते ही दोनों के सैनिकों का झुंड आमने-सामने आ गया। जरूर पढ़ें – हुमायूँ कौन था और इसने किसको मारा
राजपूत सैनिक बहुत ही दिलेर थे क्योंकि इतनी बड़ी सेना के सामने बस मुट्ठी भर सैनिक लड़ रहे थे। मगर बहुत ही जी- जान से लड़े थे ।
दूसरे दिन युद्ध का आया जिसमें समर सिंह की मौत हो गई।समर सिंह की मौत के बाद कुंवर कल्याण सिंह आगे गए जिसमें कल्याण सिंह की भी मौत हो गई। दूसरे ही दिन सुबह में यह दो योद्धाओं की मृत्यु के बाद पृथ्वीराज चौहान को बहुत ही बड़ा झटका लगा।
पृथ्वीराज चौहान ने हिम्मत नहीं हारी।लड़ाई के अंत में मोहम्मद धोरी के सैनिकों ने पृथ्वीराज चौहान को चारों तरफ से घेर लिया और बंदी बना लिया। पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर मोहम्मद धोरी गजनी ले गया। महल में पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर कैद किया और आसपास 8 हिंदू सेवक को तैनात किया। वही सैनिक पृथ्वीराज चौहान के लिए खाना बनाते और सेवा करते।
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मोहम्मद धोरी ने पूरा हिंदुस्तान अपने कब्जे में लेने के बाद ही संतुष्टि की।मह्हमद धोरी ने पृथ्वीराज जैसे बहादुर राजा की शक्ति देखी थी।पृथ्वीराज चौहान के साथ न्याय करने का मोहम्मद धोरी को मन हुआ उसी वजह से पृथ्वीराज को मारने की बदले बंदी बना लिया था और आठ हिंदू सेवकों को हाजर रखा था।
पृथ्वीराज चौहान की हिम्मत:
पृथ्वीराज चौहान को कोई बात अच्छी नहीं लगी और अनशन पर उतर गये। एक दिन पृथ्वीराज चौहान को मनाने खुद मोहम्मद धोरी आ गया। पृथ्वीराज चौहान ने किसी की बात नहीं सुनी और पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद धोरी के सामने आंख दिखाई।
इस बात का मोहम्मद धोरी को बहुत ही गुस्सा लगा और सैनिकों को कहा कि पृथ्वीराज मुझे आंख दिखा रहा है इसकी आंख ही निकाल दो। तुरंत ही सैनीको ने पृथ्वीराज चौहान की आंखें निकाल दी जिसके कारण पृथ्वीराज चौहान के पूरे जीवन में अंधेरा छा गया।
पृथ्वीराज चौहान के ध्यान शक्ति:
पृथ्वीराज चौहान की आंखें न होने के बावजूद मोहम्मद धोरी ने मजाक बनाने का सोच और पृथ्वीराज चौहान को तीर चलाने के लिए कहा। पृथ्वीराज चौहान ने कहा मेरा असली तीर कमान हो तो ही में तीर चला सकता हूं। बादशाह के हुकुम से पृथ्वीराज चौहान को असली तीर कमान दे दिया गया बादशाह ने कहा मैं 1,2,3 बोलू तभी तीर छोड़ना है। उस समय कवि चंद भी पृथ्वीराज चौहान के साथ ही थे।
जैसे ही बादशाह मोहम्मद गोरी ने बोला 1, 2 ,3 इस आवाज की दिशा में पृथ्वीराज चौहान ने तीर छोड़ा और मोहम्मद धोरी का अंत हुआ। उसके बाद वजीर ने बोला “इन दोनों को पकड़ लो” मतलब पृथ्वीराज चौहान और कवि चंद को पकड़ने के लिए बोला।
दोनों को बंदी नहीं बनना था तो कवि चंद की कटार से दोनों ने अपनी अपनी छाती चीर कर मौत को गले लगाया।
इस तरह कोई कहनी यह भी कहती है कि मोहम्मद धोरी ने पृथ्वीराज चौहान को मारा है। मगर कोई प्रकाशन का यह भी कहना है कि पृथ्वीराज चौहान ने मरने से पहले ही शहाबुद्दीन मुहम्मद धोरी को मार दिया था।
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