Bhai Dooj – भाई दूज का महत्व क्या है? इसका इतिहास , महत्व how to know about

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Bhai Dooj ke baare me- हमारे भारतीय संस्कृति में दीपावली का बहुत ही महत्व है हम बहुत ही अच्छे से दीपावली मनाते हैं, और एक दूसरे के घर भी बधाई देने जाते हैं| मगर क्या आप लोगों को पता है कि दीपावली के त्योहारों में भाई दूज (bhai dooj) का क्या महत्व है .

आखिरकार क्यों दीपावली के बाद दूसरे दिन हम भाई दूज मानते हैं? क्या आप लोग जानते हैं कि भाई दूज की शुरुआत कब हुई थी और भाई दूज का इतिहास क्या है ?आखिरकार bhai dooj त्योहार क्यों मनाते हैं?

तो चलिए जानते हैं कि भाई दूज त्यौहार का क्या महत्व है और कहां से शुरू हुई थी यह परंपराएं|

भाई दूज पर्व की शुरुआत कब हुई? | Bhai dooj festival ki shuruat kaise hui

vBhai Dooj - भाई दूज का महत्व क्या है इसका इतिहास , महत्व how to know about

भाई दूज पर्व की शुरुआत माता यमुना और उनके भाई यम के पवित्र भाई और बहन के रिश्ते से यह त्यौहार की शुरुआत हुई है| माता यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर आने के लिए कहा और खाना भी खाया|

तभी से यह त्यौहार मनाया जाता है|

यह त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की यम द्वितीया को मनाया जाता है वहीं से इस पर्व की शुरुआत हुई है| और इसी दिन हर भाई अपनी बहन के घर भाई दूज के लिए जाते हैं जहां भाई और बहन प्यार से भोजन करते है|

भाई यथाशक्ति अपनी बहन को भेंट देते हैं|

भाई दूज के दिन भाई का बहन के घर खाने का रहस्य क्या है? | Bhai dooj ki kahani

भाई दूज के दिन बहन भाई को अपने घर खाने पर बुलाती है तिलक करती है और भाई अपनी बहन को यथाशक्ति भेंट देते हैं| भाई दूज के दिन भाई अपनी बहन के घर भोजन पर जाता है इसका बहुत ही बड़ा रहस्य यह है|

वह सिर्फ भोजन नहीं होता बल्कि बहन का भाई के प्रति प्रेम होता है जो वह इस दिन भाई को भोजन कर कर दिखाती है मगर जिसकी बहन ना हो वह भाई क्या करें ऐसे में उसे भाई को जिसको अपनी बहन बनाया हो जिसे राखी बंधवाता हो| उसे बहन के घर भी जा सकते हैं और भोजन करके तिलक करवा सकते हैं|

ऐसा करने के बाद वह भाई भी अकाल मृत्यु से बच सकता है| बदले में बहन सिर्फ भाई से प्यार और आशीर्वाद ही मांगती है मगर भाई को यथाशक्ति बहन को भेंट देनी चाहिए जिससे बहन खुश हो सके|  और यह पर्व का उद्देश्य सिद्ध हो सके|

आखिर क्यों इसी दिन भाई को अपनी बहन के घर भोजन करने को कहां गया है 

यमुना ने अपने भाई यम  को जब अपने घर इसी दिन पर भोजन कराया तब यम ने अपनी बहन यमुना को वरदान मांगने के लिए कहा| यमुना ने एक ही वरदान मांगा कि इस दिन यानी की कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को जो भाई अपनी बहन के घर भोजन करने जाएगा और तिलक करवाइगा |

उसे कभी भी अकाल मृत्यु नहीं आएगी| वह भाई कभी भी बेवक्त मौत का शिकार नहीं बनेगा| मगर इसके लिए भाई को पूरी श्रद्धा और प्रेम से अपनी बहन के घर भाई दूज के दिन जाकर भोजन करना है और तिलक करवाना है| ये भी पढ़ें – भारत का इतिहास (एक शुरुआत)

भाई दूज त्योहार मनाने का क्या इतिहास है? | history of bhai dooj in hindi

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला भाई दूज का त्यौहार क्या है| मतलब की भाई दूज मनाने का इतिहास क्या है?

एक दिन यमुना भाई यम के घर जाती है और इतना भावुक होकर कहती है कि भाई आप मेरे घर कब भोजन के लिए आएंगे कब मैं आपका स्वागत अपने घर कर पाऊंगी| यमुना के आंखों में आंसू आ गए और उसे देखकर यमुना के भाई ने कहा बहन मैं तुम्हारे घर जरूर आऊंगा और भोजन भी करूंगा|

इस दिन की राह देखते यमुना ने कई दिन निकाल दिए आखिर वह दिन आई गया| और यम ने अपनी बहन को किया हुआ वादा पूरा किया| उसे दिन यम अपनी बहन के घर खाना खाया बहन ने तिलक भी किया|

जब यम अपने घर जा रहे थे तब बहन को कहा यमुना मैं तुम्हें कुछ भेंट देना चाहता हूं तुम मांगो तब यमुना ने कहा कि भाई अगर तुम मुझ पर खुश हो और भेट ही देना चाहते हो ,

तो एक वरदान दो की इस दिन यानी की कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को कोई भी भाई अपनी बहन के घर भोजन के लिए जाएगा तो उसे भाई की अकाल मृत्यु नहीं होगी|

इस बात पर यम ने तथास्तु कहा और वहां से चले गए|

तभी से इस दिन का बहुत ही महत्व है हर बहन अपने भाई को भोजन पर बुलाती है 

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