कल की चिंता | Hindi Short Story कल की चिंता क्यों ? a hindi short story | मजेदार हिन्दी कहानियाँ | बच्चों के लिए कहानी | कहानी पर चर्चा |a very short story kids
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hindi short story in hindi –एक सेठ जी थे। उनके पास बहुत पैसा था। वह बड़ी मेहनत से काम करते थे। घर में सब कुछ ठीक-ठाक था। हर तरफ से बड़ी मौज थी। एक दिन उन्होंने अपने मुनीम को बुलाकर कहा कि यह पता करो कि हमारे पास कितना धन है और कब तक के लिए पर्याप्त है? मुनीम जी ने भरोसा दिया कि कुछ दिन में सारा हिसाब किताब बता दूंगा। एक दिन मुनीम जी हिसाब लेकर आ गए और सेठ जी बोले, “सेठ जी!
जिस हिसाब से आज खर्च हो रहा है, उसी हिसाब से अगर आज से कोई कमाई ना हो तो साथ पीढ़ियां खा सकती हैं।” यह सुनकर शेर की चौंक पड़े। वे बोले, “मुनीम जी! आप यह क्या कर रहे हैं, मेरे आठवीं पीढ़ी का क्या होगा? इसका मतलब है की आठवीं पीढ़ी की संतान भूखी मर जाएगी।” मुनीम कुछ समय चुप रहा, फिर बोला, “सच्चाई तो यही है।” सेठ सोचने लगे हैं और तनाव में आ गए । धीरे-धीरे वह बीमार रहने लगे हैं। बहुत इलाज करवाया, मगर कुछ फर्क नहीं पड़ा। सेठ जी दिन भर दिन ढलते जा रहे थे।
hindi short story in hindi part 2-सेठ जी काफी तनाव
सेठ जी का एक दोस्त था। वह जब सेठ जी का हाल-चाल पूछने आया तो देखा कि सेठ जी काफी तनाव में है। पूछने पर वह बोले, “इतना कमाया फिर भी क्या हुआ? आठवीं पीढ़ी के लिए कुछ नहीं है।” दोस्त बोला, “सेठ जी एक काम करो। थोड़ी दूरी पर एक पंडित जी रहते हैं। यदि उन्हें मंगलवार सुबह रोटी खिलाई तो आप करो ठीक हो जाएगा।” सेट बोले,”यह कौन सी बड़ी बात है? इसी मंगलवार को इन पंडित जी की रोटी खिला देंगे।”
मंगलवार के दिन पंडित जी के लिए रोटी तैयार हो गई। उन्हें खिलाने के लिए सेठ जी भी अपनी पत्नी के साथ गए। वह पंडित जी से कहने लगे, “पंडित जी! आपके लिए खाना लेकर आए हैं।” पंडित जी ने उन्हें बिठाया और अपने घरवाली को आवाज दी, “सेठ जी खाना लेकर आए हैं।” पंडितानी बोली, “खाना तो सुबह ही कोई दे गया था।” पंडित जी बोले, “सेठ जी! आज का खाना तो कोई दे गया है, इसलिए आपका खाना स्वीकार नहीं कर सकते।”
सेठ जी बोले, “पंडित जी! मैं तो बड़ी उम्मीद से खाना लेकर आया हूं। इसे स्वीकार करें। पंडित जी बोले, “सेठ जी! हमारे ऐसा नियम है कि सुबह जो पहले ले आए उसी का भजन स्वीकार करते हैं। उसके बाद हम कुछ नहीं लेते। इसलिए मुझे क्षमा करना। हमारा ऐसा ही संकल्प है।” सेठ जी ने कहा, “शाम के लिए यह कल के लिए?” पंडित जी ने कहा, “नहीं, कल का जब आएगा तो कल को देखेंगे। कल के लिए आज नहीं सोचते। कल आएगा तो इस बार भेज देगा।
इसी तरह हमारे साथ पीढ़ी चल रही है।”सेट घर की ओर चल पड़े और सोचने लगे, “देखो कैसा आदमी हैं? कल की इसे बिल्कुल भी फिक्र नहीं । मुझे आठवीं पीढ़ी का रोग है। अगर वह पैदा होगी तो अपने आप कराएगी ।मुझे फिक्र करने की क्या जरूरत है ?”सेठ जी का दिमाग घर आते-आते ठीक हो गया ।
उनकी समझ में आ गया कि जो पैदा होगा, वह हाथ लेकर पैदा होगा। उसके लिए हमें को ज्यादा नहीं सूचना चाहिए। पत्थर के अंदर भी कीड़ा पलता है। उसका भी कोई साधन नहीं होता है। मनुष्य को कम सेल होना चाहिए। तभी कोई दिक्कत नहीं आती है। किसी ने ठीक ही कहा है, “तू कल की फिक्र मत कर। आज के दिन को अच्छा बना, कर कल अपने आप अच्छा होगा।”
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