सोना का लोटा। hindi short story | moral stories in hindi 

short story in hindi – एक समय की बात है एक नगर में एक व्यापारी रहता था जिसका नाम था धर्म दत्त यदि वह बहुत धनी था फिर भी उसमें तनिक भी घमंड नहीं था वह माता लक्ष्मी का बड़ा भक्त होता था और प्रतिदिन उठकर पूजा पाठ करता था वह साधु संन्यासियों का बहुत सम्मानपूर्वक करता है यदि कोई साधु सन्यासी अथवा कोई दिन ही व्यक्ति उसके दरवाजे के सामने से गुजरते तो वह उसे बिना भोजन कराए जाने नहीं देता था .

सोना का लोटा। hindi short story  moral stories in hindi 

उसकी भक्ति भावना से प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु ने उसकी परीक्षा लेने का निश्चय कर लिया सबसे पहले भगवान विष्णु एक साधु का विधान करके उसके घर के सामने से गुजर रहे थे धर्म दत्त ने जैसे ही उन्हें देखा था तो आवाज कर बुला लिया और बोले हे साधु श्रेष्ठ आप पहली बार मेरे घर के सामने से होकर जा रहे थे .

सोना का लोटा। hindi short story || बिना भोजन कारण विश्राम

short story in hindi 2-मैंने यह नियम बना रखा है कि जो कोई भी साधु संत मेरे घर के पर भिक्षा मांगने हुए आता है अथवा जो कोई कोई साधु सन्यासी प्रभु का नाम लेकर मेरे घर के सामने से गुजरता है तो मैं उसे बिना भोजन कारण विश्राम दिले नहीं जाने देता कृपा करके आज मेरे घर पर पधारिए भोजन कीजिए रात को मेरे घर में ही ठहरिए .

और कल जहां आपको जाना था वहां शौक से चल जाएगा साधु वेशधारी भगवान विष्णु की शेर का आग्रह स्वीकार कर लिया सेठ ने उसे साधु की खूब सेवा की और रात को एक आरामदायक कमरे में उन्हें धरा दिया था इस शाम लक्ष्मी जी एक सन्यासी का वेश बदल कर सेठ के घर पहुंची दरवाजे पर खड़े होकर आवाज लगाई हरि ओम हरि ओम .

सेठ ने हाथ जोड़कर कहा | short story in hindi

सेठ ने घर से निकाल कर उसे सन्यासी का भी हार्दिक स्वागत किया और भोजन करने के पश्चात अपने घर में ही बैठने का आग्रह किया यह सुनकर सन्यासी बोले भक्त मैं रात को बहुत ही काम बाहर ठहरती हूं लेकिन जब तुम इतना आग्रह कर रहे हो तो आज रात में तुम्हारे यहां हर सकती हूं लेकिन सेठ ने हाथ जोड़कर कहा यह आप मुझ पर बहुत कृपा करेंगे माता मेरे यहां एक संन्यासी भी ठहरे हुए हैं

आप दोनों में सत्संग होगा तो उसका लाभ मुझे भी प्राप्त हो  होगा सेठ सन्यासी को दूसरे कमरे में ठहरना चाहती थी लेकिन जब संन्यासी ने पहले से आए हुए साधु के बीच में कमरे में जाने की आग्रह किया तो उसने दोनों को एक ही कमरे में ठहरा दिया सन्यासी पहले ही भोजन कर चुका था .

सेठानी को खाली लोटा | hindi kahaniyan

short story in hindi –3 अतः सेठानी ने अब सन्यासी के लिए भोजन तैयार किया था भोजन करने से पहले उसने एक बड़े लोटे में जल भरा और संन्यासी से जाकर बोला माताजी भजन तैयार हो चुका है लोट के जैसे आप मुंह धो लें संन्यासी ने सेठानी के हाथ से जल भर लोटा ले लिया और अपने मुंह हाथ धोने लगी जब उसने सेठानी को खाली लोटा लोटा तो उसे हटाने का मुंह खुला का खुला रह गया पीतल का लोटा सोने में बदल चुका था

सन्यासी का चमत्कार यह लोटा पीतल का था

अपने उत्सुकता को दबाकर सेठानी ने सन्यासी को भोजन पुरुष दिया भोजन कराकर वह उसे कमरे में छोड़ आई जिसे सन्यासी 18 हुआ था कुछ देर बाद जब सेठ भजन करने रोशन में आया था तो सेठानी ने वह लौटा दिखाते हुए शेर से कहा देखो इस सन्यासी का चमत्कार यह लोटा पीतल का था संन्यासी ने जब स्पर्श किया तो यह सोने का बन गया सच मानो यह सन्यासी नया से ही कोई सिद्ध साधु प्राप्त हैं

एक सन्यासी सुबह से ही तुम उसकी सेवा सत्कार में लगे हो लेकिन आशीर्वाद देने के नाम पर भी उसने अभी तक एक शब्द भी मुंह से नहीं बोला है मेरी मां तो भोर होते ही सन्यासी को चला कर दो और संन्यासी को भी कुछ दिन यहीं रुको अगर यह कुछ दिन और ठहर जाएगी तो सोने से घर भर देंगे .

ईस्ट के प्रति श्रद्धा और विश्वास | short story in hindi –4

अपने कमरे में बैठे हुए संन्यासी और संन्यासी दोनों ने उनका यह वार्तालाप सुन सन्यासी बोला देवी लक्ष्मी उठिए अब या नहीं रह सकते हैं जी भक्ति के मन में अपनी ईस्ट के प्रति श्रद्धा और विश्वास भी ना हो उसकी पूजा अर्चना का प्रतिफल देना युक्ति संगत नहीं सेठ की पत्नी इस समय लालच में आंधी हो रही थी .

लक्ष्मी के चले जाने के कारण

इसका परिणाम तो उसके पति को भी भुगतना पड़ेगा ना यह का काव्य दोनों इस समय वहां से चले गए थे कुछ दिनों बाद से ठीक सेठानी को व्यापार में घाटा होने लगा लक्ष्मी के चले जाने के कारण उसका सारा वैभव नष्ट हो गया था किसी ने सच ही कहा है कि देवता तभी भक्ति के पास आते हैं जब भक्त के मन में निष्काम भावना हो स्वास्थ्य के नियमित की गई भक्ति अकारथ ही सिद्ध प्राप्त होती है 

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