आज हम शहीद भगत सिंह (Bhagat Singh) के बारे में जानकारी लेंगे पहले हम जाएंगे शहीद भगत सिंह (shaheed bhagat singh) का जन्म कब हुआ और कहां हुआ था और शहीद भगत सिंह के माता-पिता का नाम और बचपन (bachpan) कैसे बीता, चलिए शुरू करते हैं ।
![Bhagat singh photo - शहीद भगत सिंह की जुबान How to Know About Bhagat Singh](https://megahindi.com/wp-content/uploads/2023/12/Bhagat-singh-शहीद-भगत-सिंह-की-जुबान-How-to-Know-About-Bhagat-Singh-300x169.webp)
when was bhagat singh born | भगत सिंह का जन्म
शहीद भगत सिंह (shaheed bhagat singh) का जन्म 28 सितंबर शनिवार को 1907 की सुबह को बंगा गांव लायलपुर जिले में हुआ था। भगत सिंह के पिता का नाम सरदार किशन सिंह था भगत सिंह ने अपने घर में ही अपने पिता और चाचा दोनों को ही क्रांतिकारी प्रवृत्ति में देखा था जिसे प्रेरित होकर भगत सिंह क्रांतिकारी प्रवृत्ति में लग गए।
Bhagat Singh ki kahani – भगत सिंह की क्रांतिकारी घटना
1 दिन की घटना है छोटा सा भगत सिंह पिता की उंगली छोड़कर खेत में बैठ गया और पौधों की तरह छोटे-छोटे तीन के जमीन में गाड़ने लगा
पिता ने पूछा ,क्या कर रहे हो?
बेटे भगतसिंह ने कहा,’बंदुके’ बो रहा हूं।
ऐसे तुतलाते हुए भोलेपन में भगत सिंह ने जवाब दिया यह जब घटना घटी तब भगत सिंह की उम्र केवल ढाई -तीन साल की ही रही थी। बंदूक शब्द का उच्चारण करना भी नहीं आता था। बंदूक से करते क्या है ? यह तो बात ही दूसरी थी।
यही बालक बाद में स्वतंत्रता के अमर सेनानी शहीद भगत सिंह के नाम से जन-जन के मानस पर छा गया। उस दिन वह अपने पिता सरदार भगत सिंह (sardar bhagat singh) और उनके एक मित्र के साथ खेत पर गए थे जहां नया बाग लग रहा था।
Bhagat Singh aur Unka Andolan | भगत सिंह का आंदोलन
भगत सिंह ने आम के पौधे रोपे जाते देखे तो वह भी तीनके रोपने लगे उसी दिन की यह घटना है जब भगत सिंह को बंदूके बोलना भी नहीं आता था। भगत सिंह ऐसे ही शहीद नहीं हुए उनकी पुरखों से ही यह प्रथा चली आ रही है।
भगत सिंह के दादा सरदार अर्जुन सिंह पंजाब के एक गांव खटकल जिला जालंधर के निवासी थे।
20वीं सदी के आरंभिक वर्षों में जब अंग्रेजी सरकार ने लायलपुर के इलाके में नई नहर खुदवा कर उसे आबाद करने के लिए जालंधर,होशियारपुर आदि के निवासियों को वहां जाकर बसने के लिए जमीने दी तो सरदार अर्जुन सिंह (bhagat singh ke dada sardar arjun singh) भी बंगा गांव जिले लायलपुर में जा बसे।
सरदार अर्जुन सिंह के तीन बेटे थे। सरदार किशन सिंह,सरदार अजीत सिंह और सरदार स्वर्ण सिंह। सरदार किशन सिंह का व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली था।
अपने समय में उठने वाले हर आंदोलन में उन्होंने पूरे जोश के साथ भाग लिया सरदार किशन सिंह की काम के प्रति लगन देखकर सरकार की निगाह सरदार किशन सीह पर थी जब वह शस्त्रस्रोत की सहायता लेने के लिए नेपाल गए तो वहां उनका जोरदार स्वागत हुआ और उन्हें वहा मेहमान के रूप में ठहराया गया।
मगर सरकार चौक्कनी हो चुकी थी और नेपाल से वापस लौटते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस प्रकार वह जीवन में कई बार जेल जा चुके हैं और उन पर कई मुकदमे भी चल गए हैं ।
दूसरे भाई सरदार अजीत सिंह ने भारत माता समिति की स्थापना की इसी के माध्यम से समाचार पत्रों तथा बहुत सारे क्रांतिकारी साहित्य का प्रकाशन हुआ।
तीसरी भाई सरदार स्वर्ण सिंह भारत माता समिति के प्रमुख कार्यकर्ताओं में से एक थे। सोसाइटी का प्रकाशित क्रांतिकारी साहित्य को घर-घर पहुंचना उनका मुख्य कार्य था।
इस तरह से तीनों भाई क्रांतिकारी प्रवृत्तियों में ही लगे थे तो भगत सिंह पर तो यह आना ही था।
बच्चे तो सभी सुंदर होते हैं पर भगत सिंह के चेहरे पर तो पहले से ही एक विशेष आकर्षण था। उनकी सुंदरता को देखकर सभी मोहित होकर उन्हें गोद में लेने को उत्सुक रहते थे।
भगत सिंह की शिक्षा | bhagat singh ki education / jankari
भगत सिंह की शिक्षा की बात करें तो प्राथमिक शिक्षा बंगा में हुई। उनके बड़े भाई जगत सिंह पहले से ही वहां शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। अब दोनों भाई साथ-साथ स्कूल जाने लगे। दोनों भाइयों का रहन-सहन बातचीत करने का ढंग दूसरों से बिल्कुल अलग था ।
बचपन से ही भगत सिंह मित्र बनाने में बहुत ही कुशल थे।स्कूल के सभी बड़े छोटे बालोंक उनके मित्र थे ।भगत सिंह की एक बहुत ही खासियत थी छोटे बड़े सभी से मित्रता कर लेते थे ।
एक बार तो बोल उठे की “दर्जी मेरा दोस्त है देखो मेरे लिए कमीज लाया है ।”दरअसल एक दिन गांव का बूढ़ा दरजी उनकी कमी जिस दिल पर लाया था तो उसको भी दोस्त बना लिया।
तीसरी कक्षा में पहुंचते पहुंचते भगत सिंह उसे क्रांति को थोड़ा-थोड़ा समझने लगे जिसके कारण उनके चाचा सरदार अजीत सिंह विदेश में भटक रहे थे और अपने देश नहीं लौट सकते थे और दूसरे चाचा सरदार स्वर्ण सिंह जेल में कैदियों पर होने वाले अत्याचारों के कारण बीमार होकर शहीद हो गए थे।
चौथी कक्षा में सहपाठियों ने भगत सिंह को पूछा तुम बड़े होकर क्या करोगे कोई कहता नौकरी करूंगा, कोई खेती करने की बात करता, कोई दुकानदारी की और भगत सिंह सब की बात सुनते रहते पर कोई जवाब नहीं देते ।
Bhagat singh ki shadi | भगत सिंह की शादी
जब कोई कर कहता मैं शादी करूंगा तो वह जट जोश में आकर कहता “शादी करना भी कोई बड़ा काम है मैं शादी बिल्कुल नहीं करूंगा मैं तो अंग्रेजों को देश से बाहर निकलूंगा”
जन्म से सीख होते हुए भी भगत सिंह के दादा सरदार अर्जुन सिंह आर्य समाज के सिद्धांतों में विश्वास रखते थे और तो वह जगत सिंह का यज्ञोऊ पवित्र संस्कार भी किया गया।
भगत सिंह ने पिता सरदार किशन सिंह (bhagat singh ke pita ka naam) ने लाहौर के पास कुछ जमीन खरीद ली थी वहां कुछ काम धंधा प्रारंभ कर लेने के बाद में अधिकतर लाहौर में ही रहते थे ।
गांव में प्राइमरी स्कूल के पास होने पर भगत सिंह अपने माता-पिता के पास नया कोटा लाहौर चले गए। जहां पांचवी कक्षा की पढ़ाई की।
महाराणा प्रताप के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
सन 1923 में भगत सिंह की परीक्षा पास करके BA के प्रथम वर्ष में दाखिल हुए। घर में तब भगत सिंह के विवाह की चर्चा होने लगी भगत सिंह की दादी ने विवाह के लिए आग्रह किया तो घर के बाकी सदस्यों ने अपना उत्साह प्रकट कर दिया।
एक दिन इस इलाके में एक बड़े जमींदार अपनी बहन के साथ भगत सिंह को देखने आए भगत सिंह को उन्होंने बहुत पसंद कर लिया। वे सगाई की तारीख तय कर गए सगाई की इस बातचीत से जैसे भगत सिंह का मार्ग खुल गया। तैयारी पहले से ही थी अब घर में रहने का मतलब था विवाह के बंधन में बंधना। वह यह सब कैसे स्वीकार करते।
सगाई की निश्चित तिथि से कुछ ही दिन पूर्व घर से लाहौर गए और फिर वापस नहीं लौटे। भगत सिंह के पिता की मेज की दराज में रखा यह पत्र मिला कुछ इस प्रकार लिखा गया था।
Bhagat Singh ka Latter | भगत सिंह का पत्र
पूज्य पिताश्री नमस्ते
“मेरी जिंदगी मकसद ए आला यानि आजादी -ए -हिंद के असूल के लिए हो चुकी है। इसलिए मेरी जिंदगी में आराम और दुनिया भी ख्वाहिशात नहीं है।
आपको याद होगा कि जब मैं छोटा था तो बापूजी (भगत सिंह के दादाजी) मेरे यज्ञोऊ पवित्र के वक्त ऐलान किया था कि मुझे खिदमते-वक्त के लिए वक्फ कर दिया गया है। लिहाजा में उसे वक्त की गई प्रतिज्ञा पूरी कर रहा हूं उम्मीद है आप मुझे माफ कर पाएंगे
आपका ताबेदार
भगतसिंह (by Bhagat singh)
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